हमीरपुर/ विवेकानंद वशिष्ठ :- शहर के प्रतिष्ठित ऑलमाइटी पब्लिक स्कूल के कक्षा दूसरी के छात्रों को गुड टच और बैड टच के अंतर के बारे में बताया गया। बढ़ते बच्चों में सही और गलत का फर्क समझाना जरूरी है, जिसमें गुड टच और बैड टच भी शामिल है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं उन्हें यह समझाना बहुत जरूरी हो जाता है कि शरीर के कुछ अंग ऐसे हैं, जिन्हें छूने का अधिकार सिर्फ उन्हें है और किसी को नहीं।
शिक्षिका रितिका शर्मा के द्वारा बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक किया गया। अध्यापिका ने बच्चों को बताया कि गुड टच वह टच होता है जो हमें अच्छा लगता है और अपनों के द्वारा ही किया जाता है। इसको आप अपनी मां ,पिता ,बड़ी बहन,दादी के टच से फील कर सकते हैं। वही बैड टच इसके बिलकुल विपरीत होता है।
जब कोई व्यक्ति आपको इस तरह से छूता है कि आप इसे असहज महसूस करते हैं या फिर उस व्यक्ति का छूना आपको बुरा लगता है तो यह बैड टच है। अगर कोई अनजान व्यक्ति आपको छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है।
ऐसी स्थिति में बच्चों को या तो चिल्लाना चाहिए या फिर किसी बड़े को इसके बारे में बताना चाहिए।
ऑलमाइटी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डायरेक्टर सीए पूजा मिन्हास ने बताया कि विद्यालयों में बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना उनकी सुरक्षा और भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।
यह शिक्षा बच्चों को अनुचित या हानिकारक शारीरिक संपर्क को पहचानने और समझने में मदद कर सकती है, और ऐसी स्थितियों का अनुभव होने पर उन्हें बोलने और मदद लेने के लिए सशक्त बना सकती हैं।