हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- जिला हमीरपुर में चैक डैमों और तालाबों के निर्माण से न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है, बल्कि इन मानव निर्मित जलाशयों में मछली पालन की भी काफी अच्छी संभावनाएं हैं। जिले के किसान छोटे-छोटे नालों में चैक डैमों या निजी भूमि पर टैंकों एवं तालाबों का निर्माण करके तथा उनमें मछली पालन करके भी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।
गांव अमनेड़ के ओंकार चंद और उलेड़ वचित्र सिंह कर रहे हैं मछली पालन
हमीरपुर के गांव अमनेड़ के ओंकार चंद और भोटा के निकटवर्ती गांव उलेड़ के वचित्र सिंह ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है।
सेना से रिटायर होने के बाद ओंकार चंद जब घर आए तो उनके पास आय के सीमित साधन ही थे। पेंशन के सहारे ही जीवन-यापन हो रहा था। सिंचाई सुविधा एवं पानी की कमी के कारण उन्हें जमीन से कोई खास पैदावार भी नहीं मिल पा रही थी। उनकी जमीन के साथ लगते नाले पर चैक डैम बना तो उन्होंने जमीन की सिंचाई के साथ-साथ वहां पर मछली पालने के बारे में सोचा, लेकिन इसमें भी पैसे की कमी आड़े आ रही थी।
मत्स्य पालन विभाग ने दोनों किसानों को दी है लगभग 80 प्रतिशत सब्सिडी
इसी बीच, उन्हें मत्स्य पालन विभाग की 80 प्रतिशत सब्सिडी वाली योजना की जानकारी मिली और उन्होंने विभाग की मदद से मछलियां पालने का निर्णय लिया। मत्स्य पालन की योजना के तहत ओंकार चंद को लगभग ढाई लाख रुपये का अनुदान मिला और विभाग ने उन्हें मत्स्य पालन के लिए प्रशिक्षित भी किया।
इसके बाद उन्होंने घाघस और बिलासपुर से मछलियों की विभिन्न प्रजातियों जैसे-रोहू, कतला, सिल्वर और सिंघाड़ इत्यादि का बीज लाकर चैक डैम में इनका पालन शुरू किया। अब इस चैक डैम में मछलियों के झुंड अठखेलियां करते नजर आते हैं।
इन्हें लोकल मार्केट में बेचकर ओंकार चंद को अच्छी आय हो रही है। मछलियों के विपणन के लिए ओंकार चंद को विभाग की ओर से कई अन्य सुविधाएं भी मिली हैं। उन्हें मोटरसाइकिल के लिए भी लगभग 30 हजार रुपये का अनुदान मिला है।
आंेकार चंद की तरह भोटा के निकटवर्ती गांव उलेड़ के वचित्र सिंह ने भी मत्स्य पालन विभाग की मदद से लगभग दो हजार क्यूबिक मीटर का तालाब बनाकर उसमें मछली पालन आरंभ किया है। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से लगभग 70 हजार रुपये का अनुदान मिला है।
उनके तालाब में भी विभिन्न प्रजातियों की मछलियां मौजूद हैं। प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हुए वचित्र सिंह और ओंकार चंद का कहना है कि मत्स्य पालन विभाग की योजना के कारण ही वे जल संरक्षण के साथ-साथ मछली पालन भी कर रहे हैं और उन्हें इससे अच्छी आय हो रही है।