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भाजपा के संस्थापक सदस्य व सबसे लंबे समय तक रहने वाले अध्यक्ष को भारत रत्न मिलना हमारे लिए बड़े हर्ष की बात: धूमल

हमीरपुर/विवेकानंद  वशिष्ठ  :-   हमीरपुर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने भाजपा के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान मिलने पर बधाई दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल सरकार में उप प्रधानमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलना हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि पहले संघ फिर जनसंघ और बाद में अटल जी से जुड़कर उन्होंने पार्टी को नए आयाम तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
1990 के दशक में वह राम जन्मभूमि आंदोलन का बड़ा चेहरा बनकर उभरे और भाजपा की आक्रामक एवं जुझारू हिंदुत्व विचारधारा की पहचान बने। आडवाणी को 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री नियुक्त किया गया था और उन्होंने 1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली अटल सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री और 2002 में उप प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने लालकृष्ण आडवाणी को बधाई दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त किया
       पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का सबसे बड़ा सम्मान पाने वाले लालकृष्ण आडवाणी सबसे लंबे तक समय तक भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं वह लगभग तीन दशक तक संसद में चुनकर आते रहे हैं। उन्हें व्यापक रूप से महान बौद्धिक क्षमता मजबूत सिद्धांतों और एक मजबूत और समृद्धशाली भारतवर्ष के विचार के प्रति अटूट समर्थन रखने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने बताया कि आडवाणी के बारे में जिक्र करते हुए युग पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था कि आडवाणी जी ने राष्ट्रवाद में अपने मूल विश्वास से कभी समझौता नहीं किया और फिर भी जब भी स्थिति की मांग हुई तो उन्होंने राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में लचीलापन दिखाया है। 8 नवंबर 1927 को सिंध में जन्मे आडवाणी राष्ट्रभक्ति की भावना से परिपूर्ण और प्रेरित होकर 1942 में मात्र 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे। विभाजन से पहले पाकिस्तान में पढ़ाई लिखाई और बतौर शिक्षक नौकरी करने के साथ-साथ भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा भी वह बने।
       पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सियासी सफर की अगर बात करें तो लालकृष्ण आडवाणी विभाजन के बाद दिल्ली आए और राजस्थान में आरएसएस के प्रचारक बन गए। 6 वर्ष तक राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में संघ कार्य का आयोजन करने के पश्चात 1951 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा जनसंघ का गठन करने के बाद आडवाणी इस पार्टी से जुड़े उन्हें पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया था।
तत्पश्चात 1957 की शुरुआत में अटल बिहारी वाजपेई की सहायता के लिए उन्हें दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया 1970 में वे राज्यसभा के सदस्य बने और 1999 तक इस सीट पर रहे। वह चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। दिसंबर 1972 में वह भारतीय जन संघ के अध्यक्ष चुने गए थे आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेई जी के साथ 1980 में भाजपा की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1990 के दशक में पार्टी उत्थान की योजना बनाकर , जो पार्टी 1984 में दो सीटों पर जीती थी उसे 1992 में 121 और 1996 में 1961 सीटों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
25 दिसंबर 1990 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आडवाणी ने सोमनाथ से राम जन्म भूमि आंदोलन का नेतृत्व करते हुए राम रथ यात्रा शुरू की थी जिसमें 10000 किलोमीटर की दूरी तय की जानी थी और 30 अक्टूबर को अयोध्या में समाप्त होनी थी लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के अभियान के लिए समर्थन हासिल करना था।
      पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि लालकृष्ण आडवाणी को वर्ष 1999 में भारतीय संसदीय समूह द्वारा उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से और वर्ष 2015 में भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण सम्मान से भी नवाजा गया है उन्होंने अपने जीवन में कई पुस्तक भी लिखी हैं। राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत संघ और संगठन की योजनाओं को सिरे चढ़ाने में अपना तमाम जीवन समर्पित करने वाले लालकृष्ण आडवाणी हम सब कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
पार्टी आज जिन ऊंचाइयों पर पहुंची है उनकी नींव इन्हीं जैसे मंझे हुए हाथों ने मजबूत की है देश का सबसे बड़ा सम्मान ऐसी महान विभूति को मिलना हम सब कार्यकर्ताओं के लिए हर्ष का विषय है उन्हें यह सम्मान देने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करता हूँ।
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