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हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- समीरपुर के निष्काम कर्मयोगी रूप सिंह धूमल की 67 वर्ष की सेवा साधना तपस्या को हिमाचल प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धांजलि देने पहुंचे। 87 वर्षीय रूप सिंह धूमल पिछले कुछ माह से बीमार चल रहे थे। विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, उद्योगिक, स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े रहे सफल उद्यमी, मार्गदर्शक, कर्मठ, दृढ़ निश्चयी, मिलनसार, निष्काम कर्मयोगी रूप सिंह धूमल का शुरुआती बेहद संघर्षमय व जीवटता पूर्ण रहा । कठिन परिस्थितियों से जूझ कर कर्मयोगी ठाकुर रूप सिंह धूमल ने जो स्थान हासिल किया वह उनकी कर्मठता व योग्यता का एक उत्तम उदाहरण माना जा सकता है। ठाकुर रूप सिंह धूमल ऐसी महान विभूति थे जिन्होंने समाज के प्रत्येक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर न केवल अपनी माटी को गौरवान्वित किया अपितु समाज को नई दिशा देने का सद्कर्म किया। भले ही यह महापुरूष आज इस संसार में नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियां मानस पटल पर कायम रहेंगी। पूर्व सांसद तथा हिमाचल प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे प्रो. प्रेम कुमार धूमल के बड़े भाई, लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष एडवोकेट अरविंद धूमल के पिता, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, युवा मामलों और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर तथा आई.पी.एल. के चेयरमैन ठाकुर अरुण सिंह के ताया ठाकुर रूप सिंह धूमल (चेयरमैन, संत ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज ) 13 जून को पंचतत्व में विलीन हो गए थे।
13 वर्ष तक लगातार बगवाड़ा पंचायत के अजय प्रधान रहे रूप सिंह धूमल सफल उद्यमी मार्ग दर्शक कर्मठ और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं
26 फरवरी, 1936 को गांव समीरपुर, जिला हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) में कैप्टन महंत राम और फूलमू देवी के घर जन्मे रूप सिंह ठाकुर ने गांव बगवाड़ा के स्कूल और सरकाघाट (डी.टी. मंडी) में पढ़ाई की। 1956 में मंडी कॉलेज से बी.एस.सी. किया। एक वर्ष स्कूल टीचर, एल.आई.सी. में 10 वर्ष की नौकरी के पश्चात 1967 में ठेकेदार बीरबल दास चौहान और ठाकुर गणपत राय के सानिध्य में जालंधर में संत वाल्व के साथ जुड़े थे। जालंधर में रहते हुए भी उनका अपनी जन्मभूमि से जुड़ाव खत्म नहीं हुआ। वे गांव बगवाड़ा पंचायत के वह 1970 से 1983 तक लगातार 13 वर्ष तक अपराजय प्रधान भी रहे। तत्पश्चात अपनी व्यवस्ताओं के चलते उन्होंने स्वेच्छा से इस दायित्व से खुद को अलग कर लिया। दलगत राजनीति से ऊपर के राजनेता होने के चलते उनके क्षेत्र के लोगों से जुड़ाव तथा निःस्वार्थ भावना से किए गए विकास कार्य, उनके अन्य पारिवारिक सदस्यों के लिए इस क्षेत्र में से अपनी राजनीतिक पारी खेलने में काफी सहायक साबित हुए।
जीवनपर्यंत इस्कॉन से जुड़ाव रखने वाले रूप सिंह धूमल का निधन भी एकादशी वाले दिन को ही हुआ
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों में उनकी विशेष रूचि थी। पंजाब में रहते हिमाचलियों में आपसी संपर्क बना रहे इसके लिए हिमाचल हितकारिणी सभा की स्थापना की। 1968 में नार्थ इंडिया वाल्वस एंड कॉक्स मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के सदस्य, 1971 पंजाब वाल्वस एंड कॉक्स एसोसिएशन के महासचिव, 2000 में ऑल इंडिया वाल्वस एंड कॉक्स मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के चैयरमैन बने 2004 में वाल्वस एंड कॉक्स मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के चैयरमैन बने, जीवनपर्यंत यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उन्होंने वाल्वस एंड कॉक्स मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन जालंधर का संविधान तैयार किया, ताकि सभी का सामूहिक विकास हो । 2009 से 2011 तक लघु उद्योग भारती पंजाब के अध्यक्ष रहे। जीवनपर्यंत उनका इस्कॉन के साथ जुड़ाव रहा। उनका निधन एकादशी के दिन हुआ जोकि भगवान कृष्ण से उनके विशेष लगाव व जुड़ाव को दर्शाता है।
ठाकुर रूप सिंह धूमल ने उद्योग क्षेत्र की लंबी यात्रा में परम्परागत लक्ष्यों की तरफ निरंतर चलना ही पर्याप्त नहीं माना बल्कि व्यवसाय में तीन पीढियों के साथ पूरा समन्वय रखते हुए उन सभी की प्रतिभा का सदुपयोग किया। उन्हें पूर्ण जागरूकता के साथ विकास । पथ पर चलने के योग्य बनाना अपना कर्त्तव्य समझा। अपनी कर्मठता, ईमानदारी तथा सबको साथ लेकर चलने की भावना से चलते हुए वह संत ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने और जीवनपर्यंत उक्त जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। समीरपुर में इस पुण्यात्मा को श्रद्धांजलि देने हजारों लोग प्रदेश के कोने कोने से पहुंचे थे।