शिक्षा का उद्देश्य बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व और प्रतिभा का विकास: धूमल

हमीरपुर/विवेकानंद  वशिष्ठ  :-     शिक्षा ऐसी हो जो ज्ञान तो बढ़ाए ही और साथ में रोजगार या स्वरोजगार प्राप्त करने के लिए मददगार हो। मंगलवार को समरपुर स्थित जेपी हाई स्कूल के वार्षिक उत्सव समारोह में उपस्थित छात्रों शिक्षकों व अभिभावकों को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने यह बात कही।

 

 

 

 

कुछ कर दिखाने के लिए फंड्स से ज्यादा सरकार की नीयत नीति व लोगों का उन पर कितना विश्वास है यह ज्यादा महत्वपूर्ण: धूमल

पूर्व मुख्यमंत्री ने शिक्षा के उद्देश्य का महत्व उपस्थित विद्यार्थी व शिक्षकों को समझाते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मात्र अक्सर ज्ञान ग्रहण करना नहीं है बल्कि शिक्षा ग्रहण करने का मतलब है कि बच्चे की ऑल राउंड डेवलपमेंट आफ पर्सनैलिटी यानी की शिक्षा ग्रहण करने के साथ वह विद्वान भी बने उसका व्यक्तित्व निखरे और वह हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करे। जो बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ खेल के मैदान में और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अच्छा प्रदर्शन करता है वही एक आदर्श विद्यार्थी होता है।

 

 

सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष ज्ञान के नए मार्ग तो खुले लेकिन सामाजिक और पारिवारिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है: धूमल

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1998 में जब प्रदेश में हमने सरकार बनाई तब हिमाचल प्रदेश में केवल 7 जिलों में पॉलिटेक्निकल कॉलेज थे कुल्लू किन्नौर लाहौल स्पीति बिलासपुर सिरमौर में कोई पॉलिटेक्निकल कॉलेज नहीं था। इन पांचों जिलों में हमने एक साथ पांच पॉलिटेक्निकल कॉलेज खोले और फिर पूरे प्रदेश में नौ आईटीआई खोलने का निर्णय भी लिया था।

समीरपुर जेपी शिक्षण संस्थान के वार्षिकोत्सव में पूर्व मुख्यमंत्री ने नवाज़े होनहार

आठ आईटीआई हमने आवंटित कर दिए थे और नौवां हमने सोचा था कि हम अपनी बमसन विधानसभा में खोली जाएगी तब वहां पर ना कोई ब्लॉक था ना कोई तहसील थी ना कोई आईटीआई थी पॉलिटेक्निक कॉलेज का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। इसी बीच किसी कार्यक्रम में किसी विधानसभा में जाना हुआ तो वहां पर मंत्रिमंडल के सहयोगी ने ज़िद पकड़ ली की उनको आईटीआई ही चाहिए। गठबंधन की सरकार थी तमाम चीजों को मध्य नजर रखते हुए वहां पर आईटीआई की घोषणा करने पड़ी थी। बाद में ऐसा हुआ कि जेपी संस्थान के प्रमुख जयप्रकाश गोड़ मिलने के लिए आए तब हमने उनको कहा कि एक आईटीआई खोलें तो समीरपुर में उन्होंने आईटीआई खोल कर दी। वह दिन मेरे लिए हर्ष का दिन था एक दिन वह भी आया जब यह आईटीआई संस्थान पॉलिटेक्निक कॉलेज बन गया और बाद में बीटेक की क्लासेस भी यहां लगना शुरू हो गई। एक आईटीआई के रूप में इस जेपी संस्थान ने बहुत शानदार काम यहां पर किया है। जेपी संस्थान की तमाम मैनेजमेंट शिक्षकों और विद्यार्थियों को इसके लिए बहुत ही शुभकामनाएं।

 

सरकारी अक्सर चर्चा करती रहती हैं कि वह करना तो बहुत कुछ चाहती हैं लेकिन फंड्स की कमी है। लेकिन मेरा मानना यह है कि फंड से ज्यादा आपकी नीयत क्या है आपकी नीति क्या है लोग आपकी बातों पर कितना भरोसा करते हैं यह सब बात ज्यादा महत्व रखती हैं। जेपी संस्थान ने यहां बहुत विकास करके दिखाया है। स्कूल खोलने की बात शुरू में यहां पर नहीं कही गई थी लेकिन एक अधिकारी यहां पर आए उन्होंने अपनी इच्छा जताई कि वह स्कूल खोलना चाहते हैं तो उसके लिए भी रास्ता निकाला गया और सीबीएसई से एफिलेटेड एक स्कूल यहां पर जेपी संस्थान ने खोला था। जयप्रकाश गॉड एक बार ज्वालामुखी मंदिर में मुझे मिले तो हमने आग्रह किया कि माता की सेवा करो तो उन्होंने बताया कि वह ज्वालामुखी मंदिर परिसर का सौंदर्य करण और विस्तारीकरण का सारा काम करवाएंगे क्योंकि उनकी माता का नाम भी ज्वाला देवी है। उस समय प्रदेश में एसीसी और अंबुजा सीमेंट की दो बड़ी फैक्ट्रियां थी तो उन दोनों को कहकर हमने हमीरपुर और धर्मशाला में सिंथेटिक ट्रैक बनवाकर प्रदेश के खिलाड़ियों को दिए आज प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखा रहे हैं।

 

संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा दी गई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के ऊपर बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा जो शानदार प्रस्तुतियां यहां पर दी गई उनमें एक संदेश छुपा हुआ था। देश में इतनी विविधता होने के बावजूद देश अखंड और एक है। सोशल मीडिया के ऊपर बच्चों द्वारा जो नाटक प्रस्तुत किया गया बहुत बढ़िया था हर चीज के दो पहलू होते हैं एक सकारात्मक एक नकारात्मक। सोशल मीडिया पर सारा संसार समाया हुआ है गूगल पर आप कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का एक नेगेटिव इंपैक्ट भी है। हर कोई अपने आप में खोया हुआ है टीवी और मोबाइल ने हमारे सामाजिक और पारिवारिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। अनजाने में ही हमने अपने सामाजिक दायित्व को भुला दिया है। पहले एक आदमी को दूसरे आदमी के साथ की जरूरत होती थी अब आदमी एक मोबाइल से ही काम चला रहा है। हमें अपना सामाजिक और पारिवारिक दायित्व अच्छी तरह समझना पड़ेगा। छोटे-छोटे बच्चों ने बहुत अच्छी प्रस्तुति देकर हमें अपने दायित्व का बोध कराया है। विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर यही कहना चाहता हूं कि जो प्रथम आया है वह अपनी पोजीशन बरकरार रखने के लिए मेहनत करे। जो सेकंड आया है थर्ड आया है वह और मेहनत करे ताकि वह भी फर्स्ट आ सके और जिनका कोई ईनाम नहीं मिला वह इसलिए ज्यादा मेहनत करें ताकि वह भी अगली बार इनाम के हकदार बनें।

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