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भोंरज/विवेकानंद वशिष्ठ :- हमीरपुर (भोंरज) के साथ लगते गांव रोपड़ी के बूढें धर्म सिंह अपनी बीमार धर्मपत्नी को लेकर अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। धर्म सिंह खुद भी इतने बुढे हो चुके हैं कि वह अपनी धर्मपत्नी को इधर-उधर ले जाने में भी असमर्थ है लेकिन फिर भी अपना पत्नी धर्म निभा रहे हैं वही बात करें उनके बच्चों की तो उनके दो बेटे हैं और बेटियां भी हैं एक बेटा स्वर्ग सिद्धार्थ गया है।
और छोटा बेटा अपने बीवी बच्चों के साथ शहर में रहते हैं उनकी मां की तबीयत इतनी खराब है कि वह अस्पताल में ऑक्सीजन लगी मशीन वें साथ वेंटिलेटर पर है। लेकिन उनका पुत्र अपने बूढ़े मां-बाप को देखने तक नहीं आ रहा है इलाज करवाने की बात तो दूर की। मजबूरी चाहिए जो भी रही हो लेकिन मां-बाप तो मां-बाप ही होते हैं ।
और बच्चे ही तो बूढ़े मां’ बाप का का सहारा होते हैं हर मां-बाप अपने बच्चों को इसीलिए पालते पोस्ते है, अच्छे पढ़ते लिखते हैं ताकि बच्चों का भविष्य अच्छा हो। जब बच्चे अच्छा कमाने खाने लग जाते हैं वेल सेटेड हो जाते हैं तो वह अपने मां-बाप को भूल जाते हैं आज एक ऐसी ही दास्तां भोंरज हॉस्पिटल में देखने को मिली जहां धर्म सिंह अपनी बीमार धर्मपत्नी को लेकर अस्पताल में आया हुआ है और उनकी हालत बहुत खराब है। ऑक्सीजन लगी है और वेंटिलेटर पर पड़ी है और अपनी अंतिम सांसें ले रही है और इसी आस में जी रही है कि उनका बेटा आएगा और उनको देखेगा।
लेकिन बेटा शहर की चक्काचौंद और कमाने में इतनें मसरूफ है कि उनके फोन करने के बाद भी उन्हें देखने तक नहीं आ रहें। बेटे की मजबूरी भी हो सकती है लेकिन हम अपने लेख से बस इतना ही कहना चाहते हैं।
निगाहें चाही आसमान पर हो पर पांव हमेशा जमीन पर ही टिकाऐ रखने चाहिए।
बूढ़े धर्म सिंह के पास इतने पैसे भी नहीं है कि डॉक्टरों द्वारा लिखें टेस्ट करवा सके। दवाइयां की बात तो दूर रही और वह खुद भी चलने फिरने में असमर्थ हैं लेकिन फिर भी अपनी पत्नी के लिए धक्के खा रहे हैं उसको बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
सनातन धर्म में शादी के समय वचन होते हैं धर्म सिंह भी वही वचन को निभा रहे हैं
मैं तेरे हर सुख दुख में साथ दूंगा
मैंने जब यह मंजर देखा तो मैं स्तंभ रह गया मेरे पास शब्द भी नहीं थे जिन से में उनकी दास्तान को व्यक्त कर सकूं। लेकिन फिर भी मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है मेरे द्वारा लिखे इस लेख से मैं किसी को दुख नहीं पहुंचाना चाहता बस इतना कहना चाहता हूं कि अपने बूढें मां-बाप की देखभाल जरूर करनी चाहिए उन्हें इस वक्त धन से ज्यादा अपने बच्चों की उपस्थिति ज्यादा सुख पहुंचती है।
जिस घर में बूढ़ें मां बाप हंसते हुए मिले, समझ लेना वह घर अमीरों का है।