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विवेक शर्मा हमीरपुर :- मेरी जान तिरंगा है। जिस देश में राजनीतिक दलों के झंडे हजारों लाखों की संख्या में फ्री में बांटे जाते है वहां राष्ट्रीय ध्वज बेचा जा रहा है। यह कार्य तब किया जा रहा है जब देश को विश्व गुरु बनाने के दावे किए जा रहे हैं। इस तिरंगे के लिए असंख्य देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी दी है। क्या तिरंगे को गली मोहल्ले में बेचना इस बलिदान और त्याग का अपमान नहीं है। यदि राजनीतिक दल फ्री में हर गली मोहल्ले में झंडे लगा सकते हैं तो क्या लोगों को निशुल्क तिरंगे उपलब्ध करवाए नहीं करवाए जा सकते हैं।