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विवेकानंद वशिष्ठ/हमीरपुर :- डीडीएम साई कालेज कल्लर जलाड़ी में सफला एकादशी के दिन गीता क्लब द्वारा छात्रों के लिए श्रीमदभागवद गीता के ऊपर वक्तव्य का आयोजन किया गया। इस वक्तव्य को इंजीनियर राजेश कपिल ने विद्यार्थी जीवन में श्रीमदभागवद गीता की उपयोगिता तथा मन पर नियंत्रण में सहायक गीता के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पौराणिक ग्रंथों में गीता का स्थान सबसे ऊंचा है। गीता का चिंतन करने से हमारे मन का विकास होता है। कलयुग में पापों का नाश करने का अति उतम ग्रंथ है। गीता पलायन से पुरुषार्थ की ओर ले जाती है। जो वेदों, दर्शन, उपनिषद आदि का अध्ययन नहीं कर सकते हैं उनके लिए गीता एक अतुल्य सहारा है। आज के समय में मनुष्य द्वंद्वों और चुनौतियों में जकड़ा हुआ है। ऐसे समय में गीता का ज्ञान समस्त पाप और अंधकारों से मुक्ति देता है। गीता में कहा गया है कि मनुष्य को अपना उत्थान करना चाहिए व पतन की ओर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि मनुष्य स्वयं अपना ही मित्र है और शत्रु भी। मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं, जो मनुष्य को स्मरण शक्ति, चिंतन शक्ति, बुद्धिभाव, व्यवहार, एकाग्रता, अंत: दृष्टि में सक्षम बनाती है। हमारी इंद्रियां मन के द्वारा ही कार्य करती हैं। अभ्यास और वैराग्य द्वारा ही मन पर नियंत्रण किया जा सकता है। सुख-दुख का अनुभव भी मन के द्वारा ही होता है। जीवन में लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। बिना लक्ष्य का जीवन निरर्थक होता है। इसके बाद गीता कल्ब के कार्यकारी सचिव डा. मलकीयत सिंह राणा ने इंजी. राजेश कपिल का इस वक्तव्य के लिए व छात्रों के ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद किया।