विश्व थैलेसीमिया दिवस पर सांसद मोबाईल स्वास्थ्य सेवा टीम ने किया लोगों को जागरूक : डॉ विकास

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- केंद्रीय मंत्री एवं साँसद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र अनुराग ठाकुर के मार्गदर्शन मे प्रयास संस्था द्वारा संचालित साँसद मोबाईल स्वास्थ्य सेवा की बिभिन टीमों ने स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन कर विश्व थैलेसीमिया दिवस पर लोगों को जागरूक किया । इस अवसर पर अस्पताल सेवा के प्रमुख डॉ विकास ने जानकारी देते हुए बताया  की दुनियाभर में हर साल 8 मई को में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (World Thalassaemia Day) मनाया जाता है। थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है, इस रोग की पहचान बच्चे में जन्म के 3 महीने बाद ही हो पाती है ।  इसको मनाने का सबसे बड़ा लक्ष्य है लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है।
माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता।
यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है। तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है। डॉ विकास ने कहा की इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है। खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है।
आनुवांशिक विकार
थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार यानी क्रोनिक ब्लड डिसऑर्डर है। यह एक आनुवांशिक विकार है, जिसके कारण एक रोगी के लाल रक्त कण यानी आरबीसी में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है और रोगियों को जीवित रहने के लिए हर दो से तीन सप्ताह बाद रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
बीमारी के तीन चरण
1- माइनर- हीमोग्लोबिन जीन गर्भधारण के दौरान विरासत में मिलता है। इसमें एक जीन मां और दूसरा पिता से मिलता है। एक जीन में थैलेसीमिया के लक्षण वाले लोगों को वाहक के रूप में जाना जाता है या उन्हें थैलेसीमिया माइनर ग्रस्त कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को केवल हल्का एनीमिया होता है।
2- इंटर मीडिया- ये ऐसे मरीज हैं, जिनमें हल्के से गंभीर लक्षण तक मिलते हैं।
3- मेजर- यह थैलेसीमिया का सबसे गंभीर रूप है। ऐसा तब होता है, जब एक बच्चे को माता-पिता प्रत्येक से दो उत्परिवर्तित जीन मिलते हैं। थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त बच्चे में जीवन के पहले वर्ष के दौरान गंभीर एनीमिया के लक्षण विकसित होते हैं। जीवित रहने के लिए उन्हें अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण यानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट या नियमित रूप से रक्त चढ़ाए जाने की आवश्यकता होती है।
थैलेसीमिया के लक्षण
बार-बार बीमारी होना
सर्दी, जुकाम बने रहना
कमजोरी और उदासी रहना
आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना
 शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना
 सांस लेने में तकलीफ होना
 कई तरह के संक्रमण होना
ऐसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
डॉ विकास ने कहा की आज हिमाचल प्रदेश के विभिन स्थानों पर अस्पताल सेवा टीम ने इस गंभीर रोग के बारे मे लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य शिविर व जारूकता अभियान चलाया गया ताकि लोगों को इसके बारे मे जानकारी मिल सके | हमीरपुर,सुजानपुर,श्री नैना देवी, घुमारवीं,बद्दी,धर्मपुर,ऊना,हरोली,गगरेट,चिंतपूर्णी,भटियात,चंबा सदर,शिमला, जोगिंदर नगर , देहरा मे अस्पताल सेवा की टीमों ने यह शिविर आयोजित किए । स्वास्थ्य शिविर के दौरान स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की सामान्य जांच एवं रक्तजांच नि:शुल्क की गई | मरीजों को उपयुक्त उपचार सलाह एवं दवाईयों का वितरण भी नि:शुल्क किया गया |
डॉ विकास ने यह भी बताया की यह सेवा पिछले 5 सालों से लगातार जनहित मे शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों मे जनता तक बेहतर स्वस्थ्य सुविधाए उपलबद्ध करवाने का कार्य कर रही है । जिसमे स्वास्थ्य जांच , रक्त जांच व दवाईयों का वितरण नि:शुल्क किया जाता है ।
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