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हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- कृषि विभाग ने जिला के किसानों को मक्की की फसल में लगने वाले फॉल आर्मीवर्म के प्रति आगाह किया है। विभाग के कृषि विकास अधिकारी अरविंद चहल ने बताया कि इस कीट ने पिछले वर्ष मक्की की फसल को काफी नुक्सान पहुंचाया था। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों की नजदीकी से निगरानी करते रहें और फॉल आर्मीवर्म के लक्षण दिखने पर तुरंत विभागीय अधिकारियों से संपर्क करें।
कृषि विकास अधिकारी अरविंद चहल ने बताया कि इस कीट की सुंडी अवस्था नुकसानदायक है तथा यह फसल की सभी अवस्थाओं में क्षति पहुंचाती है। नवजात सुडियां समूह में पत्तों के हरे पदार्थ को एक तरफ से खाती हैं जिससे पत्तों में पतले सफेद कागज जैसे चकत्ते तथा छोटे.छोटे छिद्र बन जाते हैं। बड़ी सुंडियां प्राय, एक या दो की संख्या में पौधे के पर्ण चक्रों में घुसकर पत्तों को खाती हैं जिससे पत्तों में बड़े छिद्र हो जाते हैं। पत्तों में व पर्ण चक्रों में सुंडियों की बीठ व बुरादे जैसा भूरे रंग का पदार्थ भी देखा जा सकता है। बाद की अवस्था में सुंडियां भुट्टे के अंदर घुसकर दानों को भी खाती हैं।
अरविंद चहल ने बताया कि इस कीट के प्रभावी प्रबंधन के लिए आरंभ से ही कीट.निगरानी के साथ.साथ कीट नियंत्रण के विभिन्न उपायों को एक समेकित प्रणाली के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए मक्की की बिजाई हमेशा अगेती करें या समय पर करें। बीज का उपचार साईएण्ट्रानिलीप्रोल 19दशमलव 8 प्रतिशत और थायामेथोग्जाम 19 दशमलव 8 प्रतिशत 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से किया जा सकता है। फसल के बीच में अरहर, लोबिया और माश इत्यादि फसलें लगाने से भी इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
बिजाई के तुरंत बाद कीट की निगरानी के लिए फैरोमॉन ट्रैप लगाएं, अंडों के समूहों व शुरू की अवस्था की सुंडियों को इकट्ठा करके यांत्रिक तरीकों से नष्ट करें। यदि फैरोमन ट्रैप में एक पतंगा प्रति ट्रैप प्रतिदिन मिलता है या 5 प्रतिशत पौधों में क्षति के लक्षण हैं तो फसल में नीम के बीज की गिरी का अर्क, 5 प्रतिशत एनएसकेई 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें।