शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का सातवां सम्मेलन शिमला के कालीबाड़ी हॉल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में सैकड़ों मजदूरों ने भाग लिया। सम्मेलन में तेईस सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। निशा को अध्यक्ष, सरीना को महासचिव, वंदना को कोषाध्यक्ष, वीरेंद्र लाल, सीता राम, सुरेन्द्रा, हिमांशु को उपाध्यक्ष, जोगिंद्र, गीता, धीरज को सचिव, विद्या, राजिंद्र, राजवंती, कौशल्या, किशोर, सीमा, सुरेन्द्रा, बनीता, नोख राम, संजीव व सन्तोष को कमेटी सदस्य चुना गया।
सम्मेलन को कॉमरेड विजेंद्र मेहरा, जगत राम, अजय दुलटा, बालक राम, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, विनोद बिरसांटा, दलीप सिंह ने सम्बोधित किया। सम्मेलन का उद्घाटन सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने किया। उन्होंने मजदूरों से अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार,आईजीएमसी प्रबन्धन, ठेकेदारों व नियोक्ताओं के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में मजदूरों का शोषण चरम पर है व बिना संघर्ष मांगों का हल सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में ठेकेदार मजदूर अधिकारों का निरन्तर हनन कर रहे हैं। उन्होंने आईजीएमसी प्रबन्धन को चेताया है कि अगर मांगों का समाधान तुरन्त न हुआ तो आंदोलन तेज होगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियां लागू कर रही है। इन नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। जनता को बाजार से महंगा राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने के लिए नीति बनाने की मांग की। उन्होंने 26 अक्तूबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार आउटसोर्स कर्मियों को नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने की मांग की। उन्होंने सन 1992 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, सन 1957 के भारतीय श्रम सम्मेलन व सातवें वेतन आयोग की जस्टिस माथुर की सिफारिश अनुसार न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह देने की मांग की। उन्होंने सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने की मांग की।