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हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- उपायुक्त ने कहा कि शिशुओं के स्वास्थ्य एवं सही पोषण की जिम्मेदारी के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग के पास सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि, किसी भी देश या समाज का भविष्य आने वाली पीढ़ी पर ही निर्भर करता है और एक सशक्त पीढ़ी की नींव हमेशा शैशव काल से ही रखी जा सकती है।
उपायुक्त ने कहा कि किसी भी बच्चे की जिंदगी में गर्भावस्था से लेकर पहले 2 साल सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं दो वर्षों के दौरान बच्चे के दिमाग और अन्य अंगों का सर्वाधिक विकास होता है। इस दौरान बच्चों को पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए।
उपायुक्त ने कहा कि जिला में 6 माह से 3 वर्ष तक की आयु के 14452 शिशुओं और 3 वर्ष से 6 वर्ष तक की आयु के 3656 बच्चों तथा 5535 गर्भवती एवं धात्री महिलाआंे को पूरक पोषाहार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला में इसकी कवरेज अच्छी है, फिर भी महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी आंगनवाड़ी केंद्रों के अलावा जनगणना और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का भी अध्ययन करें तथा किन्हीं कारणों से छूटे बच्चों को भी लाभान्वित करें। जिला में गंभीर रूप से कुपोषित 94 बच्चों और मध्यम रूप से कुपोषित 322 बच्चों की स्थिति पर चर्चा के दौरान उपायुक्त ने कहा कि सभी संबंधित सीडीपीओ के पास इन बच्चों की स्थिति एवं पारिवारिक परिस्थितियों की पूरी जानकारी होनी चाहिए तथा इनकी नियमित माॅनीटरिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ भी समन्वय स्थापित होना चाहिए।