एसएफआई शिमला शहरी कमेटी द्वारा आज शाहिद ए आज़म “भगत सिंह” की जयंती पर सेमिनार का किया गया आयोजन

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-  एसएफआई शिमला शहरी कमेटी द्वारा भगत सिंह जयंती पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे वक्ता के तौर पर एसएफआई के भूतपूर्व राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा जी उपस्थित रहे

नारा तब भी इंकलाब था नारा आज भी इंकलाब है – सुमीत

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज देश के अंदर अगर हम देखें तो छात्रों नौजवानों ,किसानों, मजदूरों महिलाओं पर बहुत ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं और उन्होने उस छोटी सी उम्र में इस अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी वह एकमात्र ऐसा युवा था जिन्होंने अंग्रेजों की कमर तोड़ दी थी और आजादी के लिए अपनी लड़ाई को जारी रखा।

अपने जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य क्रांति की स्पष्ट अवधारणा – एसएफआई (भगत सिंह)

हम अगर बात करें तो देश में आज सांप्रदायिक तकते हैं वह ज्यादा फैल चुकी है और उसका प्रभाव बहुत ज्यादा हो चुका है हमें ऐसी सांप्रदायिकता को इस देश से बाहर फेंकना होगा और अच्छे देश का निर्माण करना होगा हमें रोजगार की मांग करनी पड़ेगी हमें अच्छी शिक्षा की मांग करनी पड़ेगी हमें अच्छे वेतन का मांग करनी पड़ेगी आज का युवा भगत सिंह से प्रेरित होकर आगे बढ़ाने की सोच रहा है परंतु कहीं ना कहीं यह सरकारे उसे पीछे की ओर धकेल रही है ये फांसीवादी सरकारें है उसे दबाना चाह रही है हमें उनके विचारों पर निरंतर चलना होगा और लगातार संघर्ष करना होगा

शिमला शहरी सचिव सुमीत ने कहा नारा तब भी इंक़लाब था नारा आज भी इंक़लाब है:

हमारे देश की वर्तमान हालात को देख कर समझ में आता है कि भगत सिंह के विचार कितने सटीक थे। देश आज़ादी का अमृतोत्सव मना रहा है लेकिन देश का मेहनतकश मज़दूर, किसान और खेत मज़दूर आत्महत्या करने के लिए मज़बूर हो रहा है। देश के संसाधनों में उसकी हिस्सेदारी और उसकी आमदनी लगातार कम होती जा रही है। अगर हालात वही हैं जिनका संकेत भगत सिंह न दिया था तो ईलाज़ भी वही है जो उन्होंने बताया था।

शिमला शहरी कमेटी ने भगत सिंह जयंती पर किया सेमिनार – एसएफआई

मज़दूरों और किसानों के संघर्ष। पिछले वर्षों में हमारे अनुभव भी यही बताते हैं जब देश में शोषणकारी कॉर्पोरेट साम्प्रदायिक नापाक गठजोड़ को मज़दूरों और किसानों के आंदोलन ने चुनौती दी। देश के नौजवानों को इसे समझते हुए मेहनतकश की एकता और आंदोलनों का नेतृत्व करना चाहिए तभी भगत सिंह का देश हम बना पाएंगे। दूसरे शब्दों में दुश्मन तब भी साम्राज्यवाद था दुश्मन आज भी साम्राज्यवाद है- नारा तब भी इंक़लाब था नारा आज भी इंक़लाब है।

कठिन रास्ते पर बलिदानों के लिए तैयार सजग क्रांतिकारी -एसएफआई

शहरी उपाध्यक्ष रणजीत ने कहा कि कठिन रास्ते पर बलिदानों के लिए तैयार सजग क्रांतिकारी: क्रांति की यह अवधारणा किसी नौजवान का सपना मात्र नहीं था, जिसे वह आसानी से पा लेने के किसी भ्रम में थे। यह तो भगत सिंह के मार्क्सवादी वैज्ञानिक दृष्टिकोण का ठोस विश्लेषण है। अपने मकसद को पूरा करने की कठिनाई और उसके लिए लाज़मी बलिदानों से वह भलीभांति परिचित और तैयार हैं। वह लिखते हैं, “क्रान्ति या आजादी के लिए कोई छोटा रास्ता नहीं है। ‘यह किसी सुन्दरी की तरह सुबह-सुबह हमें दिखायी नहीं देगी’ और यदि ऐसा हुआ तो वह बड़ा मनहूस दिन होगा। बिना किसी बुनियादी काम के, बगैर जुझारू जनता के और बिना किसी पार्टी के, अगर (क्रान्ति) हर तरह से तैयार हो, तो यह एक असफलता होगी।”

इसके लिए वह समर्पित कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हैं और खुद इसका नेतृत्व करते हैं। वह क्रांति के विज्ञान को समझते हैं। इसलिए सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप काम करने पर बल देते है। इसी खत में वह आगे लिखते हैं, “यह तो विशेष सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों से पैदा होती है और एक संगठित पार्टी को ऐसे अवसर को संभालना होता है और जनता को इसके लिए तैयार करना होता है।

क्रान्ति के दुस्साध्य कार्य के लिए सभी शक्तियों को संगठित करना होता है। इस सबके लिए क्रान्तिकारी कार्यकर्ताओं को अनेक कुर्बानियां देनी होती हैं। हम तो लेनिन के अत्यन्त प्रिय शब्द ‘पेशेवर क्रान्तिकारी’ का प्रयोग करेंगे। पूरा समय देने वाले कार्यकर्ता, क्रान्ति के सिवाय जीवन में जिनकी और कोई ख्वाहिश ही न हो। जितने अधिक ऐसे कार्यकर्ता पार्टी में संगठित होंगे, उतने ही सफलता के अवसर अधिक होंगे” ।

रणजीत ने कहा कि हमे आज भगत सिंह के विचारो पर आगे चलना होगा और देश में फैल रही फासीवादी ताकतो के खिलाफ संघर्ष करना होगा

 

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