अभ्यर्थी तैयारी की शुरुआत तो कर देते हैं लेकिन कई बार इस बात की जानकारी नहीं होती है कि क्या पढ़ना है, कहाँ से पढ़ना है, कितना पढ़ना, क्या पढ़ने के लिए सिर्फ पाठ्यक्रम पर्याप्त है या इसके इतर भी अध्ययन की आवश्यकता है; इन तमाम प्रश्नों का जबाव देने के लिए आज हमारे साथ हैं अनुभवी अध्यापक एवं संस्कृति IAS के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर श्री ए.के. अरुण सर। सर लम्बे समय से UPSC सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। दृष्टि IAS को छोड़ने के बाद से सर संस्कृति IAS Coaching में पढ़ा रहें हैं।
सर से पहला प्रश्न है कि यह कैसे तय किया जाए कि कितना पढ़ना है?
सर ने जबाव देते हुए कहा कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा की प्रकृति विशिष्ट है। इसका विस्तृत पाठ्यक्रम होने के बावजूद कई बार परीक्षा में पूछे जा रहे प्रश्न इसकी परिधि को लाँघ जाते हैं। स्पष्ट कर दूं यहाँ सिर्फ समसामयिक प्रश्नों की बात नहीं हो रही है। यहाँ उन प्रश्नों की बात की जा रही है, जो परम्परागत तो है लेकिन पाठ्यक्रम से बाहर के हैं। आइए उदाहरण से समझते हैं-
उदाहरण- भारत की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, “मुद्रास्फीति-सूचकांकित बांड (आईआईबी)” के क्या फायदे हैं?
- सरकार आईआईबी के जरिए अपनी उधारी पर कूपन दरें कम कर सकती है।
- आईआईजी निवेशकों को मुद्रास्फीति के संबंध में अनिश्चितता से सुरक्षा प्रदान करता है।
- आईआईबी पर प्राप्त ब्याज और पूंजीगत लाभ कर योग्य नहीं हैं।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा सही है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में अर्थव्यवस्था-
आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि
आपने देखा कि पाठ्यक्रम में बैंकिंग का स्पष्ट जिक्र नहीं है, जबकि उक्त प्रश्न बैंकिंग का है। परीक्षा में बैंकिंग से प्रश्न खूब पूछे जा रहे हैं।
ए.के. अरुण सर ने कहा कि पाठ्यक्रम में हर विषय के कुछ टॉपिक्स का स्पष्ट उल्लेख है साथ ही आपने गौर किया होगा कि इन टॉपिक्स के बाद ‘आदि’ शब्द का प्रयोग किया गया है। प्रश्न इस बात का है इस ‘आदि’ शब्द को कैसे परिभाषित किया जाए।
सर ने कहा कि अंततः अध्ययन का मुख्य उद्देश्य है कि परीक्षा में आ रहे प्रश्न हल हो सकें। सबसे बेहतर तरीका है कि पाठ्यक्रम से तैयारी करते हुए परीक्षा में पूछे जा रहे प्रश्नों का अवलोकन अवश्य करें। आप पाएँगे कि पूछे जा रहे प्रश्न कुछ ऐसे टॉपिक से भी हैं, जो पाठ्यक्रम में वर्णित नहीं है। परीक्षा में आ रहे इन प्रश्नों से ‘आदि’ शब्द को भी परिभाषित करना आसान हो जाएगा।
अतः कहा जा सकता है कि ‘पाठ्यक्रम’ एवं ‘विगत वर्षों के प्रश्न’ तैयारी को सम्पूर्णता देने के दो सबसे महत्वपूर्ण आधार हैं। ये अभ्यर्थी को अनावश्यक सूचनाओं से बचाएंगे और जरूरी जानकारियां जुटाने में मदद करेंगे।