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शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- सैहब सोसाइटी वर्करज़ यूनियन का एक प्रतिनधिमण्डल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में नगर निगम आयुक्त एवम मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैहब सोसाइटी शिमला से मिला व उन्हें मांग पत्र सौंपा। आयुक्त ने मांगों को जल्द पूरा करने का भरोसा दिया।
यूनियन ने चेताया है कि अगर मांगों का समाधान तुरन्त न हुआ तो आंदोलन होगा। ज़रूरत पड़ी तो मजदूर हड़ताल पर चले जाएंगे। प्रतिनिधिमंडल में बालक राम, रमाकांत मिश्रा, यूनियन अध्यक्ष जसवंत, महासचिव ओमप्रकाश गर्ग, नरेश ठाकुर, पाला राम मट्टू, सुनील, योगेश, भरत, पवन, नरेंद्र, अमित भाटिया, रूपा, पूनम, शारदा, देवी सिंह, सूरत राम, नरेंद्र, राकेश, नरेश, राहुल, शिव राम, बूटा राम, विक्रम, दिगम्बर, मनोज, अजित आदि शामिल रहे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह व महासचिव ओमप्रकाश गर्ग ने कहा कि सैहब मजदूरों व सुपरवाइजरों का भारी आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस महीने एक दर्जन सुपरवाइजरों व आउटसोर्स कर्मियों का वेतन रोक दिया गया है जोकि वेतन भुगतान अधिनियम 1936 का उल्लंघन है। नगर निगम प्रशासन द्वारा हर महीने सुपरवाइजरों व आउटसोर्स कर्मियों के वेतन को रोकने तथा सैहब कर्मियों के वेतन को 7 तारीख के बाद देने की परंपरा कानून विरोधी है। अगर यह परंपरा बन्द न की गयी तो मजदूर हड़ताल पर उतर जाएंगे।
उन्होंने मांग की है कि सैहब वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। उन्हें 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन, सुप्रीम कोर्ट के सन 1992 के आदेश, सातवें वेतन आयोग की जस्टिस माथुर की सिफारिशों व 26 अक्तूबर 2016 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 26 हज़ार वेतन दिया जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। उन्हें कानूनी रूप से 39 छुट्टियां दी जाएं। सैहब में आउटसोर्स में कार्यरत कर्मियों को सैहब के अंतर्गत लाया जाए व उन्हें समय पर वेतन दिया जाए। सैहब कर्मियों को 4- 9 – 14 का लाभ दिया जाए। सभी सैहब सुपरवाइजरों व मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित वेतन दिया जाए। सुपरवाइजरों व मजदूरों के लिए पदोन्नति नीति बनाई जाए। उनकी ईपीएफ की बकाया राशि उनके खाते में जमा की जाए। उनसे अतिरिक्त कार्य करवाना बन्द किया जाए। उन्होंने मांग की है कि सैहब एजीएम की बैठक तुरन्त बुलाई जाए व सैहब कर्मियों की मांगों को पूर्ण किया जाए।