एसएफआई संजौली इकाई द्वारा, कॉलेज परिसर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ धरना प्रदर्शन

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   एसएफआई संजौली इकाई अध्यक्ष प्रवेश शर्मा ने बताया कि धरना प्रदर्शन करने का कारण यह रहा कि , 2020 में जब पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा था, उस समय केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने आपदा को अवसर बना कर इस शिक्षा नीति को बिना संसद में चर्चा किए गैर संवैधानिक तरीके से छात्र समुदाय थोप दिया, इस शिक्षा नीति के माध्यम से आज सरकारी शिक्षा पर हमले किए जा रहे है केंद्र सरकार लगातार शिक्षा को निजी हाथों में देकर इसको बेचने का काम कर रही है।

 

 

 

 

इकाई सचिव अंशुल मिन्हास ने कहा कि 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तो कांग्रेस सरकार भी इस छात्र विरोधी शिक्षा नीति पर चुप्पी साधे बैठी है और इस शिक्षा नीति को हिमाचल प्रदेश में लागू करने की पूरी मंशा बना चुकी है ।

 

 

 

इस धरना प्रदर्शन में एसएफआई संजौली इकाई के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि, इस नीति के अंतर्गत 15 से 20 कीलो मीटर के दायरे में आने वाले सरकारी स्कूलों को बंद कर के एक मॉडल स्कूल खोला जाएगा और जिसके मालिक अदानी अंबानी जैसे पूंजीपति लोग होगे और शिक्षा के निजीकरण के कारण फीस वृद्धि का पूरा बोझ छात्र पर पड़ेगा।

न तो इस शिक्षा नीति में चत्तवृति जैसी कोई सुविधा उपलब्ध होगी जिसके कारण आर्थिक तौर पर कमजोर छात्र शिक्षा से दूर जाएंगे।

केंद्र की भाजपा सरकार अपने नफरती और सांप्रदिक एजेंडे को लोगो के दिमाग तक ले जाने के लिए कई हथकंडे अपना रही है यह शिक्षा नीति भी उनमें से एक है ।

एसएफआई के कार्यकताओं का कहना है कि एक जिम्मेदार छात्र संगठन होने के नाते एसएफआई ऐसी छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ हमेशा से लड़ती आई है इससे पूर्व रुसा सिस्टम जैसी नीतियों को भी प्रदेश से उखाड़ फेंकने में एसएफआई ने पहले भी जीत हासिल की और प्रदेश सरकार से एसएफआई यह मांग करती है कि इस नीति को हिमाचल प्रदेश में लागू न किया जाए इसमें सुधार करने की आवश्यकता है ताकि इस नीति को हिमाचल प्रदेश की परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जा सके।
अगर प्रदेश सरकार मांगो पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती तो एसएफआई तमाम छात्र समुदाय को लामबंद करते हुए एक बड़ा आंदोलन तैयार करेगी।

 

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