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शिमला में बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर एबीवीपी ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर किया धरना प्रदर्शन

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला महानगर इकाई ने आज उपायुक्त कार्यालय के बाहर शिमला में बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था एवं शिक्षण संस्थानों हो रहे हमलों के विरोध में धरना प्रदर्शन किया।

 

 

 

 

 

 

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिमला महानगर इकाई ने शिमला में चरमराई कानून व्यवस्था एवं वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई द्वारा शिक्षण संस्थानों में बार-बार की जा रही हिंसा के विरोध में धरना प्रदर्शन कर के कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए है।

 

 

 

शिमला विभाग सयोंजक समीर ठाकुर ने कहा कि हर बार की तरह एक बार फिर महाविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को एसएफआई ने परिसर में मारपीट करके खराब करने की कोशिश की है, एसएफआई के गुंडा तत्वों महाविद्यालय को हिंसा का अड्डा समझ बैठी है जिसे रोकने में शिमला की कानून व्यवस्था एवं महाविद्यालय प्रशासन बिल्कुल फेल हो चुका है हर बार यह एसएफआई के कार्यकर्ता महाविद्यालय में पुलिस के नाक के नीचे वह कानून व्यवस्था को दरकिनार करते छात्रों के साथ मारपीट करके लहूलुहान करते हैं और प्रशासन हाथ पैर हाथ धरे रह जाता है।

शिमला महानगर मंत्री अंकुश वर्मा ने कहा है कि एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने इस वर्ष 2023 में राजधानी शिमला का कोई भी शिक्षण संस्थान नहीं छोड़ा है जहां पर इन्होंने हिंसा न की हो यहां तक कि इन्होंने राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला को भी नहीं बक्शा है उनके छात्र कार्यकर्ताओं के द्वारा विद्यार्थी परिषद की छात्रों पर भी इस वर्ष अनेक हमले किए गए हैं और इन सभी अपराधों के लिए एसएफआई कार्यकर्ताओं पर शिमला पुलिस के अलग-अलग थानों में लगभग 10 से भी अधिक एफआईआर दर्ज हुई है, इन सभी मामलों में बार-बार वही कार्यकर्ता संलिप्त पाए जाते हैं जिनके ऊपर लड़ाई झगड़ों के मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हैं और पुलिस प्रशासन इन गुंडा तत्वों पर नुकेल कसने में नाकामयाब हुई है।

शिमला विभाग संयोजक समीर ठाकुर ने कहा कि विद्यार्थी परिषद ने इन गुंडो के ऊपर कार्यवाही करने के लिए शिमला पुलिस अधीक्षक को 2022 में दो बार ज्ञापन सौंप दिए हैं परंतु फिर भी स्थिति जैसी की तैसी ही है, यहां तक कि पिछले कल कोटशेरा महाविद्यालय में लड़ाई पुलिस के सामने सामने हो गई और पुलिस वहां पर कुछ नहीं कर पाई।

वही कोर्ट शहरा महाविद्यालय इकाई के सचिव भानू चौहान ने कहा कि बीते 6 नवंबर को एनएसयूआई एवं एसएफआई के कार्यकर्ताओं के बीच मुख्यमंत्री का पुतला जलाने के बीच में बहस हुई और या बहस बाद में लड़ाई में तब्दील हो गई, और या लड़ाई 7 नवंबर को भी जारी रही। उन्होंने कहा कि जब एनएसयूआई एवं एसएफआई के कार्यकर्ता आपस में लड़ रहे थे तो वही एसएफआई के कार्यकर्ता ने विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के साथ भी मारपीट करना शुरू कर दी जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने उसका विरोध किया तो एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर तेज धार हथियारों के साथ हमला कर दिया जिस कारण विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को चोट भी आई है इतना ही नहीं वहां खड़े महाविद्यालय के एक गैर शिक्षक वर्ग के अध्यापक द्वारा विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई जिससे यह प्रतीत होता है कि वह प्राध्यापक नशे में था और जहां बाकी पर अध्यापक लड़ाई को शांत करने की कोशिश कर रहे थे वही एक महाविद्यालय का लिपिक मारपीट में शामिल हुआ था, जिसके खिलाफ विद्यार्थी परिषद कार्रवाई करने की मांग करती है।

एबीवीपी के विभाग संयोजक समीर ठाकुर ने कहा है कि शिमला प्रदेश की राजधानी है और राजधानी में पूरे प्रदेश का ही नहीं अपितु देश के अलग-अलग राज्यों से भी विद्यार्थी यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं तथा विभिन्न देश विदेश से पर्यटन भी यहां भ्रमण करने के लिए आते हैं ऐसी स्थिति में इन वामपंथी छात्र संगठनों के द्वारा देवभूमि हिमाचल प्रदेश को केरल और बंगाल की तर्ज पर हिंसा का अड्डा बनाने की नाकाम कोशिश की जा रही है और विद्यार्थी परिषद शिक्षण संस्थानों में हिंसा का कड़ा विरोध करते हैं तथा पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन से विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि शिमला में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए और एसएफआई के ऐसे गुंडा तत्व जो बार-बार हर लड़ाईया में पाए जाते हैं उनके ऊपर कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए ताकि शिक्षण संस्थानों में शैक्षिक माहौल बरकरार रहे।

 

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