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एस.एफ.आई के प्रतिनिधि दल ने एस पी शिमला को ज्ञापन सौंपा

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   एसएफआई का प्रतिनिधि दल ने जिला अध्यक्ष अखिल मांटा और सचिव कमल शर्मा के नेतृत्व मे पुलिस अधीक्षक शिमला से मुलाकात की और एस पी शिमला को ज्ञापन सौंपा और इन हिंसक घटनाओं पर जल्द से जल्द कार्यवाही करने की मांग की, और साथ ही एसएफआई द्वारा उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर एनएसयूआई और ए बी वी पी के आतंकवाद के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया गया।

 

 

 

 

 

बीते दिन ए बी वी पी और एन एस यू आई द्वारा मिलकर एसएफआई के कार्यकताओं पर सुनियोजित
तरीके से तेज धार हथियार से हमला किया गया।
एसएफआई के पांच कार्यकताओं को गंभीर चोटे आई है।

 

 

 

 

एसएफआई शिमला जिला अध्यक्ष अखिल मांटा ने बताया कि बीते एक माह से एसएफआई ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में अपना आंदोलन जैसे जैसे आगे बड़ाया तो भाजपा और कांग्रेस के हमदर्द ए बी वी पी और एन एस यू आई इस आंदोलन को दबाने का काम करती है और एसएफआई के कार्यकताओं पर जानलेवा हमले किए जा रहे है।

 

 

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भाजपा सरकार द्वारा लाई गई थी और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस भी इस छात्र विरोधी नीति को लागू करने जा रही है,और कॉलेज में भाजपा और कांग्रेस के सरकारी छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई अपने राजनीतिक दलों के बचाव में उतर कर एसएफआई के कार्यकताओं पर लगातार हमले कर रहे हैं।

एसएफआई लंबे समय से इस शिक्षा नीति का विरोध कर रही हैं और हर धरना प्रदर्शन के अवसर पर इस बात को लोगों तक पहुंचाया है की यह शिक्षा नीति आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को शिक्षा से दूर कर देगी क्योंकि इसमें सार्वजनिक शिक्षा को खत्म कर के पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने का कार्य केंद्र सरकार और प्रदेश की कांग्रेस सरकार जोर देकर कर रही है।

एसएफआई हमेशा से छात्र मुद्दो को लेकर सत्ताधारियों का सामना करती आई है और सत्ता पर काबिज़ लोगों के यह चाटुकार छात्र संगठन हमेशा अपनी सरकारों के बचाव में आकर परसियार में हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देते है।

ज़िला सचिव कमल शर्मा ने कहा कि अगर दिन दिहाड़े कॉलेज परिसर में तेज़ धार हथियार चलेंगे तो यह शिमला शहर की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल है ।

अपनी बात को खत्म करते हुए जिला सचिव ने कहा कि हम शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने की मांग करते है , लेकिन अगर लगातार एसएफआई के कार्यकताओं पर हमले होते रहेंगे तो एसएफआई इसके खिलाफ एक उग्र आंदोलन तैयार करेगी और इसके जो भी परिणाम होंगे उसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी।

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