शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए विश्वविद्यालय इकाई ने कहा कि SFI विश्वविद्यालय परिसर में काफी लंबे समय से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा व पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार व धांधलियों के खिलाफ लगातार आंदोलनरत रही है।
इसके लिए SFI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई प्रदेश सरकार पर लगातार दबाव बनाने का काम कर रही है क्योंकि प्रदेश सरकार ने सत्ता में आने से पहले विश्वविद्यालय में हो रहे इस पूरे भ्रष्टाचार को खत्म करने का आश्वासन दिया था परंतु उसके बाद वर्तमान की कांग्रेस सरकार इसी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है परिणाम स्वरूप 1 साल से ज्यादा समय हो जाने के बावजूद भी अभी तक विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
SFI ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन केवल एक विशेष छात्र संगठन के नेताओं को परेशान करने की कोशिश कर रहा है। जो विश्वविद्यालय, राज्य में शैक्षणिक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और केंद्र सरकार की छात्र विरोधी नीतियों का विरोध कर रहे हैं और नई शिक्षा नीति-2020 उनमें से एक है।
एसएफआई नियमित रूप से विश्वविद्यालय में फर्जी शिक्षक भर्ती, पीएचडी में भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रही है। प्रवेश, निर्माण गतिविधियों में भ्रष्टाचार और ईआरपी में भ्रष्टाचार जिसके कारण पीड़ित राज्य की निर्दोष आबादी और उनकी युवा पीढ़ी है।
SFI जब लगातार इस भ्रष्टाचार व धांधलियों के खिलाफ लड़ रही थी तो प्रशासन ने SFI के 12 छात्रों को बिना सूचित किए बिना कारण बताओ नोटिस दिए निष्कासित कर दिया।
वर्तमान सरकार से अपेक्षा की गई थी कि वह इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगी, लेकिन दुर्भाग्य से विश्वविद्यालय प्रशासन में वर्तमान लोग अपने भ्रष्ट पूर्ववर्तियों की नीतियों का पालन करते नजर आ रहे हैं और परिसर के शैक्षणिक माहौल को खराब करने और विश्वविद्यालय परिसर के भ्रष्टाचार को दूर करने की एसएफआई की मांगों को भटकाने के लिए बाहर से अपने गुंडों को हथियारों और लाठियों के साथ आमंत्रित करके हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।
एसएफआई ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की मदद के बिना ये अभूतपूर्व घटनाएं कैसे हो रही हैं जैसे:
• बाहरी गुंडे गुंडागर्दी कर रहे हैं और हिंसा फैला रहे हैं और इसकी आशंका नशे के सौदागरों पर है।
• पुलिस उपाधीक्षक की अध्यक्षता में पूरी सुरक्षा व्यवस्था है कि कैसे लाठियों से लदी एक कार विश्वविद्यालय परिसर में घुसी।
• पूरी सरकार निर्दोष छात्र नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित करने का दबाव बना रही है, लेकिन दूसरी ओर उन बाहरी लोगों को छोड़ दिया गया है, जिन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पुस्तकालय के सामने धारदार हथियारों के साथ उत्पात मचाया था।
• एसएफआई न केवल विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के कॉलेजों में उत्पात मचाने वाले गुंडों के खिलाफ अहिंसक अभियान जारी रखेगी। एसएफआई का दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकार के गुंडे नशे का धंधा भी कर रहे हैं और प्रदेश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं।
• एसएफआई एनईपी के कार्यान्वयन के खिलाफ है जो देश में शिक्षा को सांप्रदायिक बनाने, निगमीकरण और निजीकरण के अलावा कुछ नहीं है। इससे रोजगार का संकट और गहरा जाएगा और करोड़ों युवा बेरोजगार हो जाएंगे। शिक्षा निजी घरानों को हस्तांतरित कर दी जाएगी और एक वस्तु की तरह बेच दी जाएगी और इससे समाज में असमानता बढ़ेगी।
• यह राज्य में कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक पागलपन है कि राहुल गांधी और अन्य कांग्रेसी नेता विभिन्न चुनाव अभियानों के दौरान अपनी सार्वजनिक बैठकों में एनईपी-2020 का विरोध कर रहे हैं, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस पार्टी राज्य में एनईपी को आक्रामक तरीके से लागू करके अपनी पार्टी के खिलाफ काम कर रही है। इतना ही नहीं सुक्खू सरकार द्वारा विभिन्न आरएसएस/भाजपा कंपनियों को इसके लिए नियुक्त या सूचीबद्ध किया जा रहा है।
यह दिवालियापन नहीं है, बल्कि राज्य में कांग्रेस नेताओं की अपनी पार्टी लाइन का उल्लंघन करने की भ्रष्ट मानसिकता है। राहुल गांधी और कई कांग्रेस नेताओं के कई बयान ऑनलाइन उपलब्ध हैं जो कई आधारों पर एनईपी-2020 की कड़ी आलोचना करते हैं।
• एसएफआई छात्रों को प्रताड़ित करने के लिए विभिन्न विभागों से छात्रों का रिकॉर्ड एकत्र करने के लिए एचपीयू प्रशासन की आलोचना कर रही है और उसे आशंका है कि वे एक तरफा निर्णय ले सकते हैं। जिसका एसएफआई प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाकर करारा जवाब देगी। एसएफआई ने बयान दिया है कि हमने देखा है कि मामी बाहरी लोग प्रतिकुलपति के कार्यालय में बैठकर छात्र नेताओं की पहचान कर रहे हैं ताकि उन्हें प्रताड़ित किया जा सके।
• एसएफआई ने प्रो-वाइस-चांसलर राजिंदर वर्मा को चेतावनी दी है कि छात्र नेताओं को प्रताड़ित करके अपने हाथ आग पर न डालें। कई कांग्रेस शिक्षक नियमित रूप से हमसे संपर्क कर रहे हैं और हमें बता रहे हैं कि कैसे आपने उच्च पद के लिए पात्र बनने के लिए 89 दिनों में प्रदान की गई अपनी पिछली सेवाओं को अवैध रूप से गिना है, जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम के खिलाफ है। कैसे अवैध तरीके से आपने बायो-साइंस विभाग में अपनी ही पत्नी के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर का पद सृजित कर दिया। कैसे आपने कांग्रेसी शिक्षकों के अधिकार को नज़रअंदाज़ करके अपने ही किराएदार को HRDC का सहायक निदेशक नियुक्त कर दिया जो RSS/भाजपा विचारधारा का है।
SFI प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि विश्वविद्यालय में की गई सभी धांधलियों के खिलाफ यदि कोई कार्यवाही नहीं होती है व जल्द स्थाई कुलपति को नियुक्त नहीं किया जाता है तो SFI प्रदेश व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक उग्र आंदोलन को अंजाम देगी जिसकी पूरी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।