शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- विश्वविद्यालय एस एफ आई इकाई ने विश्वविद्यालय के द्वारा बनाई गयी अनुशासनात्मक कमेटी द्वारा किये गए अवैध रूप से एस एफ आई के 12 छात्र नेताओं के निष्कासन के खिलाफ सम्मान रैली के माध्यम से धरना प्रदर्शन किया गया।
इस प्रदर्शन में बात रखते हुए कैंपस उपाध्यक्ष साहिल ने कहा की जब एस एफ आई कैंपस के अंदर पिछली भाजपा सरकार द्वारा और पूर्व कुलपती सिकंदर कुमार के द्वारा विश्वविद्यालय में जो धांधलिया की है उसके खिलाफ लगातार आंदोलन कर रही है।
परंतु जब सत्ता के अंदर कांग्रेस की सरकार नहीं थी उन्होंने सत्ता में आने से पहले यह वादा किया था कि विश्वविद्यालय के अंदर जो भ्रष्टाचार हुआ है उसके खिलाफ करवाई करेगी। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने अभी तक किसी भी तरह से विश्वविद्यालय के अंदर हुई धांधलियों के खिलाफ किसी भी तरह का कम नहीं उठाया है।
जब एस एफ आई प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ और इन धांधलियों के खिलाफ लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने का काम कर रही थी तो उस समय कांग्रेस सरकार के पिट्ठू संगठन NSUI के बाहरी गुंडों द्वारा विश्वविद्यालय कैंपस के अंदर आकर एस एफ आई के कार्यकर्ताओं पर नुकीले हथियारों और डंडों से हमला करवाकर कैंपस का माहौल खराब किया जाता है। सफी का मानना है कि यह हमला विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश सरकार की मिली भगत से सुनियोजित तरीके से करवाया गया है। जिसमें एस एफ आई के तीन छात्र नेताओं को गहरी चोटे लगती हैं। परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा बाहरी गुंडों पर कार्रवाई न करते हुए उल्टा एसएफआई के 12 छात्र नेताओं पर अवैध रूप से निष्कासन कर कार्रवाई करती हैं।
*मुख्य मांगे*:-
1) विश्वविद्यालय में जल्द से जल्द स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जाए।
2) विश्वविद्यालय में हुई प्रोफेसर भर्तीयों के अंदर धांधलियों के खिलाफ प्रदेश सरकार जांच करें।
3) विश्वविद्यालय में Ph.D के अंदर प्रोफेसर सिकंदर कुमार के द्वारा करवाए गए अवैध प्रवेश को रद्द करो।
4) विश्वविद्यालय के अंदर नॉन टीचिंग स्टाफ की रेगुलर भर्तिया जल्दी करवाई जाए।
5) विश्वविद्यालय में पिछली सरकार के द्वारा गलत तरीके से आउटसोर्स पर करवाई गयी भर्तियों की जांच की जाए।
6) हिमाचल प्रदेश के अंदर लागू की गई नई शिक्षा नीति को वापस किया जाए।
7) विद्यालय की लाइब्रेरी के जनरल सेक्शन को 24 घंटे खुला रखा जाए।
8) विश्वविद्यालय अनुशासनात्मक कमेटी द्वारा अवैध तरीके से किया गया एसएफआई के 12 छात्र नेताओं का निष्कासन वापस लिया जाए।
इस धरने में आगे बात रखते हुए कैंपस सह-सचिव संतोष ने कहा कि एक तरफ तो विश्वविद्यालय प्रशासन 26 नवंबर के दिन संविधान की शपथ लेता है और दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस को तार तार करते हुए और संविधान का उल्लंघन करते हुए विश्वविद्यालय मैं पढ़ने वाले 12 एसएफआई के छात्र नेताओं को अवैध रूप से निष्कासित करते हुए अपना फैसला लेता है। उन्होंने बात रखते हुए कहा कि जब एसएफआई विश्वविद्यालय में छात्रों के मुद्दों को लेकर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन कर रही थी उस आंदोलन से विश्वविद्यालय प्रशासन घबराता हुआ हमारे 12 साथियों को निष्कासित करता है एसएफआई इस निष्कासन का विरोध करती है और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि वह 12 लोगों का निष्कासन वापस ले। उन्होंने आगे बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के द्वारा बनाई गई अनुशासनात्मक कमेटी के जो सदस्य है जिसके अंदर अधिष्ठाता अध्ययन और प्रति कुलपति भी शामिल है वह लोग खुद प्रदेश कांग्रेस सरकार की चाटुकारिता करते हुए इन सीटों पर पहुंचे हैं। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति के लिए 10 साल का अनुभव न होते हुए भी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति इस सीट पर विराजमान है और कांग्रेस सरकार के संरक्षण के चलते विश्वविद्यालय में धांधलिया कर रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के अंदर अपनी पत्नी को भर्ती करवाने के लिए विश्वविद्यालय के बायो साइंस डिपार्टमेंट के अंदर सीट क्रिएट करने की कोशिश करते हुए अपनी पत्नी को गलत तरीके से इस डिपार्टमेंट के अंदर भर्ती करवाने के लिए काम कर रहे है। एसएफआई मांग करती है कि प्रदेश सरकार इनके ऊपर भी कार्रवाई करें।
एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन मांगों पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन कारवाई नहीं करता है तो आने वाले समय के अंदर मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन तैयार करेगी इसके साथ-साथ एसएफआई मांग करती है कि जो एसएफआई के 12 छात्र नेताओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने निष्कासित किया हैं अगर उनका निष्कासन जल्द वापस नहीं किया गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय द्वारा बनायी गयी रचनात्मक कमेटी के सदस्यों का जगह-जगह पर घेराव किया जाएगा।