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सभी पात्र बच्चों और युवाओं तक पहुंचे सुख आश्रय योजना का लाभ, मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की समीक्षा बैठक में एडीसी ने दिए निर्देश

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :-   एडीसी मनेश यादव ने महिला एवं बाल विकास विभाग और जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना का लाभ जिला के सभी पात्र बच्चों एवं युवाओं तक पहुंचना चाहिए।

 

 

 

 

इससे कोई भी पात्र बच्चा एवं युवा छूटना नहीं चाहिए। बुधवार को यहां हमीर भवन में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए एडीसी ने ये निर्देश दिए।

 

 

 

उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता खो चुके बच्चों एवं 27 वर्ष तक के युवाओं का सम्मानजनक एवं बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना आरंभ की है तथा उन्हें चिल्ड्रन्स ऑफ द स्टेट का दर्जा दिया गया है। इस योजना में पात्र बच्चों एवं युवाओं के रहन-सहन, पालन-पोषण, शिक्षण-प्रशिक्षण, विवाह और मकान निर्माण सहित जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।

 

 

एडीसी ने बताया कि जिला हमीरपुर में व्यापक सर्वे के बाद इस योजना के अंतर्गत 252 लाभार्थियों का चयन किया गया है। इनमें 18 वर्ष तक की आयु के 105 बच्चे और 18 से 27 वर्ष तक के 147 युवा शामिल हैं। इनमें से 12 बच्चों को बाल आश्रम सुजानपुर में रखा गया है, जबकि अन्य बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं।
बाल आश्रम सुजानपुर में बच्चों को उपलब्ध करवाई जा रही विभिन्न सुविधाओं की समीक्षा करते हुए मनेश यादव ने कहा कि इस वित वर्ष के दौरान इन सुविधाओं पर लगभग 29.72 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

 

उन्होंने कहा कि यहां बच्चों को सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ-साथ ई-लाईब्रेरी की सुविधा प्रदान करने के लिए भी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं। इसके तहत 10 कंप्यूटर एवं वाई-फाई उपकरण स्थापित कर दिए गए हैं। आश्रम के 6 बच्चों को सुजानपुर के बेहतर सुविधाओं से युक्त निजी स्कूलों में दाखिल करवाया गया है। एडीसी ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को आश्रम का नियमित रूप से निरीक्षण करने तथा बच्चों के साथ संवाद करने के निर्देश भी दिए।

उन्होंने कहा कि जिला में सुख आश्रय योजना के सभी लाभार्थी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्हें उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा तथा कौशल विकास के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग और हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के अधिकारियों को इन बच्चों का मार्गदर्शन करना चाहिए।

 

एडीसी ने कहा कि सुख आश्रय योजना में इन बच्चों की उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए भी विशेष प्रावधान किया गया है। यही नहीं, इन बच्चों को मकान निर्माण और विवाह के लिए आर्थिक मदद की व्यवस्था की गई है। बेघर बच्चों को सरकार जमीन भी दे रही है।
एडीसी ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, ताकि सभी पात्र बच्चों तक इनका लाभ पहुंच सके।

बैठक में योजना से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा की गई। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार और जिला बाल संरक्षण अधिकारी तिलक राज आचार्य ने योजना का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।

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