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सीटू जिला शिमला की बैठक जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में हुई सम्पन्न।

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   सीटू जिला शिमला की बैठक जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में सीटू कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित कुमार, बालक राम, हिमी देवी, सुनील मेहता, नरेश, प्रताप चौहान, निशा, सरीना, बबलू, प्रवीण, सन्नी, रामप्रकाश, भूप सिंह, ओमप्रकाश, कुलदीप, मीन चंद, नेक राम, शांति, राजपाल, देवेंद्र आदि बैठक में शामिल रहे। बैठक में निर्णय लिया गया कि मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ 1 फरवरी को शिमला, रामपुर व रोहड़ू में प्रदर्शन होंगे।

 

 

आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील कर्मियों की मांगों को लेकर 24 जनवरी को शिमला, रामपुर, रोहड़ू, कुमारसैन, ठियोग, बसन्तपुर में प्रदर्शन होंगे। मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ बहाली के मुद्दे पर 29 जनवरी से 10 फरवरी तक व्यापक जन अभियान होगा।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा व सचिव अमित कुमार ने कहा कि 1 फरवरी का प्रदर्शन मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 375 रुपये दिहाड़ी पर 120 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, योजना कर्मियों को नियमित करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ामुक्ति आदि मांगों को लेकर होगा।

उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है।

 

उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, नौकरी से बाहर किये गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 375 रुपये दिहाड़ी पर 120 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की।

 

 

उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तयबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की।

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