हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- विद्या का सही उद्देश्य बच्चों का संपूर्ण विकास करना होता है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने रविवार को हमीरपुर के लामडू में सरस्वती पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह बात कही है उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ विद्यार्थी जीवन में पाठ्येतर गतिविधियों में ,खेलों में और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए।
विद्या का उद्देश्य बच्चों का सम्पूर्ण विकास; शिक्षा के साथ पाठ्येतर गतिविधियों में संलिप्तता अतिआवश्यक: धूमल
सरस्वती पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव में पूर्व मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए थे और उन्होंने इस मौके पर स्कूल के होनहार और बढ़िया प्रदर्शन करने वाले बच्चों को इनाम भी बांटे। इस मौके पर स्कूल के बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को सराहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में इस समय राम लहर की हवा चल रही है इसको बनाये रखो, संस्कृति और संस्कार बचे रहेंगे।
छोटे-छोटे बच्चों ने यहां पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है उनके चेहरे के हाव-भाव देखते ही बनते थे अगर इन नन्हे फूलों को और मार्गदर्शन मिले और तराशा जाए उनकी प्रतिभा को और निखारा जाए तो निश्चित रूप से अपने साथ-साथ क्षेत्र माता-पिता और देश-प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल के वार्षिक उत्सव के दिन का इंतजार बच्चों के साथ-साथ स्कूल के शिक्षकों को भी साल भर रहता है क्योंकि उनके सारे वर्ष की मेहनत का नतीजा उसे दिन उनको देखने सुनने को मिलता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरस्वती पब्लिक स्कूल लंबलू के वार्षिकोत्सव में नवाज़े होनहार
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है। और यह प्रतिस्पर्धा सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आज प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में बढ़िया प्रदर्शन करने के लिए जरूरी है कि बच्चा मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से बिल्कुल फिट हो। शिक्षा का लगातार अभ्यास हमें इस काबिल तो बना देता है कि हम अच्छे नंबर परीक्षा में ले आए लेकिन प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए अत्यधिक दबाव से बचने के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से फिटनेस सही होना अति आवश्यक है।
बच्चों के लिए खेल का मैदान शारीरिक फिटनेस के लिए और सांस्कृतिक व पाठ्येतर गतिवधियां मानसिक फिटनेस के लिए सर्वोत्तम होती हैं। शिक्षा जहां से भी मिलती है वहां से प्राप्त करनी चाहिए। शिक्षक बहुत मेहनत कर रहे हैं बच्चों को चाहिए कि वह भी मेहनत करें मेहनत कभी बेकार नहीं जाती जो मेहनत करता है वही शिखर तक पहुंचता है और सफल होता है।