चुनावों से पहले ही हार मान चुकी है कांग्रेस :लखनपाल 

 

 

ब्यूरो, बड़सर

बड़सर उपचुनावों के किले को फतह करने के लिए भाजपा एक जुटता के साथ क्षेत्र मे दिनरात पसीना बहा रही है! इस बार बड़सर मे अपने सूखे को खत्म करने के लिए एकजुटता के साथ चुनावी प्रचार मे डटी हुई है! रविवार को भी जहां भाजपा संगठन व कार्यकर्ता जगह जगह चुनावी प्रचार के लिए तपती गर्मी मे पसीना बहाते रहे वहीं भाजपा प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल ने भी विस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर नुक्कड सभाओं का आयोजन किया! नुक्कड सभाओं के दौरान लखनपाल ने कहा है मुख्यमंत्री सुखू हर मंच से झूठ बोलकर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे है लेकिन उनके मनसूबे कभी पूरे नहीं हो सकते है! उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यदि समय रहते विधायकों द्वारा उठाये गए जनता से जुड़े मुद्दों का समाधन करते तो आज उन्हें जनता के बीच इस तरह जगह जगह झूठ नहीं बोलना पड़ता! लखनपाल ने कहा है कि जिस व्यक्ति ने ताउम्र झूठ की ही राजनीति मे ही विश्वास रखा और पिछले चुनावों मे भी जनता को झूठे सपने दिखाकर सता हासिल की हो तो ऐसे व्यक्ति के से झूठ के आलावा और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है!उन्होंने कहा कि पहले जनता उनके बहकावे मे आकर एक बार धोखा खा चुकी है दूसरी बार कभी भी विश्वास नहीं करेगी! मुख्यमंत्री की बखौलहट इस बात की गबाह बन रही है कि कांग्रेस चुनावों से पहले ही चारों खाने चित हो चुकी है! कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष ढटवालिया के ब्यान पर प्रहार करते हुए लखनपाल ने कहा कि जिनके घर सीसे के होते है वह दूसरों पर कभी पत्थर नहीं फैकते है! उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी भूल रहे है कि भाजपा मे शामिल होने से पहले उनके परिबार के सदस्य ही विधायक के रिश्तेदारों व मित्रों मे प्रथम श्रेणी मे रहे है! उन्होंने कहा कि मैंने न कभी पार्टी विशेष की राजनीति पर विश्वास रखा और न ही व्यक्ति विशेष को महत्व दिया! बड़सर की जनता इस बात को भली भांति जानती है कि मैने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बड़सर के हर उस व्यक्ति का काम किया है जो मेरे पास अपनी फरियाद लेकर पंहुचा है! उन्होंने कहा कि बड़सर की जनता मेरा परिबार है और अपने परिबार के लिए जो कुछ संभव हो सका वह मैने किया है! यह बड़सर की जनता का ही प्यार व आशीर्वाद है कि जनता मेरे साथ ख़डी है! उन्होंने कहा कि बड़सर मे कांग्रेस पूरी तरह से पिछड़ चुकी है जिसके चलते अब कांग्रेस प्रत्याशी भी मुख्यमंत्री की बोली बोलने को मजबूर हो गए है।

[covid-data]