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विवेक शर्मा हमीरपुर :- सीएम जयराम ठाकुर जब हमीरपुर दौरे पर आए तो पेंशन के लिए उनके पैर भी छुए, लेकिन वह बुजूर्ग सेवानिवृत कर्मचारियों की मांगों को नहीं सुन रहे हैं। क्या सरकार बुजूर्ग सेवानिवृत कर्मचारियों के मरने का इंतजार कर रही है। निगम और बोर्ड से सेवानिवृत कर्मचारी और उनके परिवारों सड़कों पर हैं और सरकार हेलीकाॅप्टर में घूम रही है। प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन को मजबूर हुए बुजूर्ग सेवानिवृत कर्मचारियों का यह दर्द शब्दों में छलका है। काॅरपोरेट सेक्टर सेवानिवृत कर्मचारी समन्वय कमेटी हमीरपुर के जिला अध्यक्ष राजकुमार ने धरना प्रदर्शन के दौरान अपना दर्द बयां करते हुए यह शब्द कहे है। उन्होंने अपने जैसे हजारों बुजूर्गों की पीड़ा को जाहिर किया है। हमीरपुर में काॅरपोरेट सेक्टर कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ बुधवार को मुख्य बाजार में जमकर प्रदर्शन किया। सेवानिवृत कर्मचारी सर्वप्रथम ऐतिहासिक गांधी चैक पर एकत्र हुए और इसके बाद भोटा चैक और बसस्टैंड से होकर फिर गांधी चैक पर पहुंचे। यहां पर धरना देने के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से इन कर्मचारियों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है और काॅरपोरेट सेक्टर के सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन दिए जाने की मांग उठाई है।
कमेटी के जिलाध्यक्ष राजकुमार ने कहा कि क्या सरकार बुजूर्ग हो चुके रिटायरी लोगों के मरने का इंतजार कर रही है। यदि इस प्रदर्शन के बाद भी सरकार नहीं जागती है तो फिर विधानसभा का घेराव किया जाएगा और आमरण अनशन भी होगा। नेता एक नहीं बल्कि कईं पेंशन ले रहे है। लंबे समय से सीएम जयराम ठाकुर से बातचीत करने का आग्रह किया जा रहा है लेकिन अब वह सुनवाई नहीं कर रहे है।
सीएम की अनदेखी के कारण अब पीएम और गृहमंत्री को जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन भेजा है ताकि सीएम जयराम ठाकुर को पीएम निर्देश दें और उनकी मांगे पूरी हो सके है। उन्होंने कहा कि हालात इस कद्र खराब है कि काॅरपोरेट सेक्टर के कर्मचारियों को वर्तमान में 1000 से 1500 रूपये मासिक पेंशन मिल रही है जिसमें घर के दूध का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
भाजपा सरकार ने ही 1998 में काॅरपोरेट सेक्टर के कर्मचारियों की पेंशन को लागू किया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने 20004 में इस पेंशन को बंद कर दिया। उसके बाद भाजपा सरकार ने 2017 के चुनावों से इस वर्ग की मांग को पूरा करने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया। भाजपा सरकार सत्ता में आ गई लेकिन अभी तक पेंशन बहाल नहीं की गई है। ऐसे में यदि सरकार अब सुनवाई नहीं करेेगी तो आगामी विस चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।