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सेना ने कई युद्ध जीते, लेकिन नेताओं ने टेबल पर हार दिए; कारगिल युद्ध ऐसा जिसमें सेना और नेताओं दोनों ने जीत हासिल की: धूमल

कारगिल विजय दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हम जिंदा हैं और सुरक्षित हैं क्योंकि सरहद पर हमारे वीर सैनिक हैं मौजूद”

हमीरपुर, संवाददाता

भारतीय सेना के वीर सैनिकों ने कई युद्ध जीते हैं, लेकिन राजनीतिक नेताओं ने टेबल पर हार दिए। कारगिल युद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसमें हमारी सेना ने भी जीत का स्वाद चखा और हमारे नेताओं ने भी युद्ध जीता। इसीलिए इस जीत को याद करने के लिए विजय दिवस मनाया जाता है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने वीरवार को समीरपुर में भोरंज मंडल द्वारा आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मौके पर शहीदों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष देशराज शर्मा, जिला महामंत्री राकेश ठाकुर, और मंडल अध्यक्ष अशोक ठाकुर सहित पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता व अन्य लोग उपस्थित रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे वीर सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, और तृतीय विश्व युद्ध में भारतीय सेवा की प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1948 में हम युद्ध जीते, लेकिन मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में चला गया और जो फौज ने जीता था, वह हमारे नेताओं ने हार दिया। 1962 के युद्ध में नेता ने रोते हुए कहा कि हमारे देश के हाथ से नॉर्थ ईस्ट जा रहा है। 1965 का युद्ध जीतने के बाद हाजी पीर का दर्रा भी जीत लिया जो बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन ताशकंद के टेबल पर हार गए। 1971 में युद्ध जीतने के बाद शिमला की टेबल पर हार गए और 93000 सैनिक छोड़ दिए। इतने सारे युद्ध हमने जीते, लेकिन विजय दिवस कभी नहीं मनाया। लेकिन जब हमने कारगिल युद्ध जीता तब से हमने विजय दिवस मनाना शुरू किया क्योंकि यह युद्ध हमारी सेना ने भी जीता और हमारे नेताओं ने भी जीता।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई प्रधानमंत्री युद्ध भूमि में नहीं जाता, लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने यह कर दिखाया। वह 5 जुलाई को कारगिल में वीर सैनिकों से मिले और उनके हौसले को बढ़ाया। उन्होंने युद्ध भूमि में जाकर न केवल अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि यह भी साबित किया कि एक सच्चे नेता का कर्तव्य अपने सैनिकों के साथ खड़ा रहना है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक सैनिक, जिसने बारूदी सुरंग के विस्फोट में अपने दोनों हाथ और पैर खो दिए थे, ने बताया कि जब हमारी सेना ने टाइगर हिल पर फिर से कब्जा कर लिया तो उसका दर्द कम हो गया। ऐसे वीर सैनिकों के कारण हम जिंदा और सुरक्षित हैं। आज हम सब मिलकर उन सैनिकों का धन्यवाद व्यक्त करते हैं और उनको नमन करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुतियां दी हैं।

प्रो धूमल ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि हमारे सैनिकों की बहादुरी और शौर्य के कारण ही हम सुरक्षित और स्वतंत्र हैं। उन्होंने सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने एक साथ मिलकर शहीदों को नमन किया और उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय सेना ने हमेशा से ही अपने अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया है। हमारे सैनिकों ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के साहस और समर्पण की कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं और हमारे भीतर देशभक्ति की भावना को और मजबूत करती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कारगिल युद्ध में विजय केवल सैनिकों की ही नहीं बल्कि पूरे देश की विजय थी। इस विजय ने हमें यह सिखाया कि एकजुट होकर हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। इस विजय दिवस पर हमें अपने सैनिकों की वीरता को नमन करते हुए उनके योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।

प्रो धूमल ने अंत में कहा कि हमें अपने सैनिकों पर गर्व है और हम उनके शौर्य को हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे सैनिकों के परिवारों को हर संभव सहायता मिले और उनके बलिदान को उचित सम्मान मिले। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने एक साथ मिलकर यह संकल्प लिया कि वे अपने देश और सैनिकों की सेवा में सदैव तत्पर रहेंगे।

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