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नौकरी छोड़ एलोवेरा पर स्टार्टअप इंडिया प्रोजेक्ट से नाम कमाया सुनील कुमार कौशल

विवेक शर्मा हमीरपुर :- हमीरपुर जिले के गलोड़ क्षेत्र के एक युवा सुनील कुमार कौशल ने नौकरी छोड़ एलोवेरा पर स्टार्टअप इंडिया प्रोजेक्ट से नाम कमाया हैण् इको फ्रेंडली एलोवेरा आधारित उद्योग को सुनील कुमार ने गलोड़ क्षेत्र में ही स्थापित किया हैण् सुनील एक युवा उद्योगपति होने के साथ ही एक प्रगतिशील किसान भी हैंण् सुनील कौशल के आर्गेनिक तरीके से अमेरिकन प्रजाति की उन्नत किस्म की ऐलोवरा बरबडेंसिस मिलर
उगा रहे और इसके 18 तरह के उत्पाद तैयार कर रहे है। इन उत्पादों की डिमांड अब विदेश से भी आने लगी है। दुबई के साथ ही कई अन्य देशों से आॅर्गेनिक तरीक से तैयार एलोवेरा के प्रोडक्ट की डिमांड सुनील कौशल के उद्यम रूद्रा हर्ब को मिली है। कौशल के इस इस स्टार्टअप को साल 2019 में में मंजूरी मिल गई थीण् सुनील काफी पहले से 2014 से ही इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए रिसर्च में जुटे थे और 2016 से उन्होंने यह काम गुजरातए दिल्ली और पंजाब में शुरू कर दिया थाण् अब सुनील हमीरपुर जिले के गलोड़ क्षेत्र में उन्होंने इस एलोवेरा से 18 तरह के उत्पाद तैयार करने के लिए उद्योग शुरू कर दिया है। लगभग एक करोड़ की लागत वाली विदेशों से मंगाई गई मशीनरी इस उद्योग में लगाई गई है। सुनील कौशल को हाल ही प्रदेश सरकार बेहतर स्टार्टअप के लिए दूसरे सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी के पुरस्कार से नवाजा है। दिल्ली में बेस्ट एंटरप्रन्योर एंड स्टार्टअप 2021 के नेशनल अवार्ड से सम्मानित हो चुकें हैंण् युवा उद्योगपति सुनील कुमार कौशल को हाल ही दिल्ली में बेस्ट एंटरप्रन्योर एंड स्टार्टअप 2021 के नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था। हाल ही उन्हें राज्य सरकार ने प्रदेश के दूसरे सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी का खिताब से नवाजा है। पिछले साल जिस कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया थाए वहां पर पूरे भारत से करीब 300 नेशनल और इंटरनेशनल कंपनीज ने पार्टिसिपेट किया थाण् यह प्रोजेक्ट सीएसआईआर आईएचबीटी पालमपुर में स्टार्ट अप इंडिया प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग और मिनिस्ट्री ऑफ आयुष इंडिया के सहयोग से तैयार किया हैण्

पिता की आकस्मिक मौत के बाद छोड़ी नौकरी, शुरू किया उद्यम
साल 2012 में सुनील कौशल के पिता मोहिंदर कुमार की ऑन ड्यूटी मौत हो गई थीण् सुनील के पिता पटवारी थेण् तब से ही सुनील कौशल ने ऑर्गेनिक उत्पादों को लेकर कार्य शुरू कर दियाण् सुनील कहते हैं कि उन्होंने लक्ष्य रखा है कि मिलावटी और केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों की वजह से किसी की मौत ना होण् इसके लिए उन्होंने ऑर्गेनिक एलोवेरा जूस तैयार करने का निर्णय लिया है ताकि इसके इस्तेमाल से सेहत में सुधार किया जा सकेण् सुनील कौशल ने विशेष बातचीत में कहा कि जब पिता की मौत अचानक हुई तो वह सेहत को लेकर चितिंत हुए। पहले उन्होंने एलोवेरा की उन्नत किस्म की खेती से हेल्थ जूस तैयार करना शुरू किया और बाद उद्यम स्थापित कर अब 18 तरह के इसके प्रोडक्ट तैयार कर रहे है। उन्होंने कहा कि इस उद्यम का एकमात्र लक्ष्य लोगों को एक बेहतर उत्पाद उपलब्ध उनकी सेहत में सुधार करना है।

एक कनाल में सालाना दो से तीन लाख की कमाई, दस तक मुनाफा
एलोवेरा बरबडेंसिस मिलर किस्म की प्रजाति को तैयार करके किसान एक कनाल में 2 से 3 लाख की कमाई कर सकते हैंण् एक दफा पौधा लगाने के बाद उसे दस साल तक नहीं उखाड़ा जाएगा बल्कि उसकी पत्तियों को बेचकर कर किसान हर साल मुनाफा कमा सकता है। हमीरपुर जिले में 50 एकड़ भूमि में 31 किसानों के साथ मिलकर वह एलोवेरा की इस किस्म को पैदा कर रहे हैंण् सुनील कुमार अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गए हैंए जिन्होंने अपना उद्योग धंधा स्थापित करने का सपना देखा हैण् सुनील कौशल कंपनी के माध्यम से किसानों को जोड़ रहे है और उन्हें खेती के पौधे उपलब्ध करवा रहे है। कंपनी खुद इन पौधों की देखभाल के निगरानी भी रखती है और बाद में तैयार पौधों को खरीदती भी है जिसका मुनाफा किसान को दिया जाता है।

खेती के दो तरीके, उजाड़ का भी डर नहीं
एलोवेरा की इस खेती के दो तरीके सुनील कौशल ने अपने उद्यम के लिए तय किये है। एक तरीके में किसान खेतों में एलोवेरा उगा रहे है और खेतों में उगने वाले अन्य पौधों और घास को हटाकर पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरे तरीके में जो लोग खेती छोड़ चुके है और घर से बाहर हैं वह एक दफा अपने जमीन पर इस एलोवेरा को उगाकर वन्य पर्यावरण में ही पैदा कर रहे है। मसलन यदि किसी नौकरीपेशा परिवार के पास जमीन में खेती के समय नहीं है तो वह भी इसे एक दफा उगाकर लगभग दस साल तक एक ही पौधे से फसल पाकर मुनाफा कमा सकता है। यह उन किसानों के लिए भी बेहतर विकल्प बनी है।
महिला किसान का कहना है कि पहले वह मक्की और गेंहू की खेती करते थे उसमें फसलों की उजाड़ का डर रहता था, लेकिन अब कम मेहनत में एलोवेरा की खेती से उन्हें फायदा हो रहा है। उजाड़ का डर भी नहीं है और उनकी आय भी इस खेती से बढ़ गई है पिछले कई सालों से इस कार्य को वह कर रहे हैं।

किसान राजकुमार का कहना है कि नौकरी से सेवानिवृति के बाद उन्होंने 2015 से इस खेती को अपनाया। दो साल में उन्होंने दो लाख की कमाई की है जबकि मक्की और गेंहू से महज आठ से 10 हजार की कमाई होगी। एलोवेरा की खेती से किसानों की आय दोगुना से कहीं अधिक इजाफा होता है। यह आॅर्गेनिक खेती है जिसका कोई खर्च भी नहीं है।
कई बीमारियों के इलाज में कारगर
उन्नत किस्म की इस एलोवेरा के उत्पाद के इस्तेमाल मनुष्य को होने वाली 300 तरह की बीमारियों पर कारगर हैं। इस एलोवेरा के उत्पादों के इस्तेमाल से लगभग हर बीमारी यहां तक की कैंसर और एचआईवी तक के मरीजों को राहत मिलती है। मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने में यह रामबाण इलाज है। एलोवेरा को आयुर्वेद, ऐलोपेथी और होम्योपैथी के साथ अन्य इलाज की पद्वतियों में उपयोगी माना गया है। विशेषज्ञों की राय के मुताबिक इन उत्पादों के प्रयोग से हार्ट की ब्लाकेज और पेट से जुड़ी समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

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