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विवेक शर्मा हमीरपुर :- जिला भाषा अधिकारी निक्कू राम ने बताया कि भाषा एवं संस्कृति विभाग प्रदेश की समृद्ध लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवद्र्धन तथा लोक संगीत को बढ़ावा देने के लिए सत्त प्रयासरत है। हिमाचल प्रदेश का लोकसंगीत मेलों, पर्वों, तीज-त्योहारों तथा नृत्यगीतों के माध्यम से विभिन्न लोकवाद्यों के साहचर्य से पनपता रहता है । इसके लय, भाव, नाद आदि के स्वरूप निजी हैं जो अपनी सरसता, मिठास, स्वर-साहित्य, नाद-सौन्दर्य एवं गंभीरता से आद्वितीय हैं तथा इसमें एक सरस प्रवाह है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार द्वारा लोक संगीत के संरक्षण एवं संवद्र्धन के उद्देश्य से लता मंगेशकर स्मृति राज्य सम्मान तथा लोकसंगीत जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित करने की नीति बनाई है इसी के अंतर्गत जिला के लोक संगीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला हमीरपुर द्वारा 23 अगस्त को प्रात: 10 बजे संस्कृति सदन सलासी में जिला स्तरीय लोकसंगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जिला हमीरपुर से सम्बन्ध रखने वाले सभी कलाकार भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता आयुवर्ग से दो वर्गों में आयोजित होगी। 16 वर्ष तक की आयु के कलाकार कनिष्ठ वर्ग में तथा 16 वर्ष से अधिक आयु के कलाकार वरिष्ठ वर्ग की प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को आयु एवं स्थाई निवास के सत्यापन हेतु सम्बन्धित कोई भी प्रमाण पत्र आधार कार्ड आदि की प्रतिलिपि साथ लानी होगी।
इसके अतिरिक्त प्रतियोगिता दो श्रेणियों में आयोजित होगी – पहली श्रेणी में विशुद्ध लोकसंगीत है जबकि दूसरी श्रेणी में समकालीन व आधुनिकता लिए हुए विलयात्मक लोकसंगीत। विशुद्ध लोकसंगीत की श्रेणी का हिमाचली लोकसंगीत कई विषयों पर आधारित है जिसका मनुष्य के जीवन से गहरा सम्बन्ध है। इन लोकगीतों का विषय सामान्य जीवन से लेकर इतिहास, धर्म, पुराण, प्रेम, वीर गाथाओं, देवस्तुतियों, ऋतुप्रभात और सामाजिक बन्धनों, सामाजिक उत्सवों आदि से सम्बन्धित है। हर्ष और वेदना दोनों ही प्रकार की अनुभूति इनमें होती है। उन्होंने बताया कि विशुद्ध लोक संगीत पर आधारित प्रतियोगिता में प्रतिभागियों से यह अपेक्षा रहेगी कि वे लोकसंगीत की मौलिकता को प्राथमिकता दें तथा जिस प्रकार लोकसंगीत परम्परागत रूप से गाया या बजाया जाता है उसी रूप में इसे प्रदर्शित करें।
उन्होंने बताया कि आधुनिकता की दौड़ में हिमाचल के लोक गीत अपनी परम्परा और मौलिकता को भूलते नजर आ आ रहे है। हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध संस्कृति से सराबोर है। विलयात्मक लोकसंगीत की श्रेणी में ऐसे लोकसंगीत को रखा जाएगा जिसमें परम्परा लोकसंगीत के साथ -साथ आधुनिक संगीत का विलय हो। उन्होंने बताया कि
प्रत्येक प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी को रूपये 11 हजार की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी एवं राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी को रूपये 31 हजार की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में प्रतिभागी को किसी भी प्रकार का यात्रा भत्ता/ दैनिक भत्ता आदि नहीं दिया जाएगा केवल मात्र विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।
उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार द्वारा लोक संगीत के संरक्षण एवं संवद्र्धन के उद्देश्य से लता मंगेशकर स्मृति राज्य सम्मान तथा लोकसंगीत जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित करने की नीति बनाई है इसी के अंतर्गत जिला के लोक संगीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला हमीरपुर द्वारा 23 अगस्त को प्रात: 10 बजे संस्कृति सदन सलासी में जिला स्तरीय लोकसंगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जिला हमीरपुर से सम्बन्ध रखने वाले सभी कलाकार भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता आयुवर्ग से दो वर्गों में आयोजित होगी। 16 वर्ष तक की आयु के कलाकार कनिष्ठ वर्ग में तथा 16 वर्ष से अधिक आयु के कलाकार वरिष्ठ वर्ग की प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को आयु एवं स्थाई निवास के सत्यापन हेतु सम्बन्धित कोई भी प्रमाण पत्र आधार कार्ड आदि की प्रतिलिपि साथ लानी होगी।
इसके अतिरिक्त प्रतियोगिता दो श्रेणियों में आयोजित होगी – पहली श्रेणी में विशुद्ध लोकसंगीत है जबकि दूसरी श्रेणी में समकालीन व आधुनिकता लिए हुए विलयात्मक लोकसंगीत। विशुद्ध लोकसंगीत की श्रेणी का हिमाचली लोकसंगीत कई विषयों पर आधारित है जिसका मनुष्य के जीवन से गहरा सम्बन्ध है। इन लोकगीतों का विषय सामान्य जीवन से लेकर इतिहास, धर्म, पुराण, प्रेम, वीर गाथाओं, देवस्तुतियों, ऋतुप्रभात और सामाजिक बन्धनों, सामाजिक उत्सवों आदि से सम्बन्धित है। हर्ष और वेदना दोनों ही प्रकार की अनुभूति इनमें होती है। उन्होंने बताया कि विशुद्ध लोक संगीत पर आधारित प्रतियोगिता में प्रतिभागियों से यह अपेक्षा रहेगी कि वे लोकसंगीत की मौलिकता को प्राथमिकता दें तथा जिस प्रकार लोकसंगीत परम्परागत रूप से गाया या बजाया जाता है उसी रूप में इसे प्रदर्शित करें।
उन्होंने बताया कि आधुनिकता की दौड़ में हिमाचल के लोक गीत अपनी परम्परा और मौलिकता को भूलते नजर आ आ रहे है। हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध संस्कृति से सराबोर है। विलयात्मक लोकसंगीत की श्रेणी में ऐसे लोकसंगीत को रखा जाएगा जिसमें परम्परा लोकसंगीत के साथ -साथ आधुनिक संगीत का विलय हो। उन्होंने बताया कि
प्रत्येक प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी को रूपये 11 हजार की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी एवं राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए भेजा जाएगा। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी को रूपये 31 हजार की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में प्रतिभागी को किसी भी प्रकार का यात्रा भत्ता/ दैनिक भत्ता आदि नहीं दिया जाएगा केवल मात्र विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।