
विवेकानंद शर्मा हमीरपुर :- पंडित सुरेश गौतमका कहना हे कि श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें l
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll
समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l
“श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं
मंत्र ध्यान से पढ़े
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा|
जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l
पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें|