2790 अज्ञात लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले शांतनु कुमार करेंगे सामूहिक महाश्राद्ध

 

विवेक शर्मा हमीरपुर :- हमीरपुर 2790 अज्ञात लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले शांतनु कुमार अब इन इन्हें पितर मानकर सबका एक साथ सामूहिक महाश्राद्ध करेंगे। पितृपक्ष में अपने पितरों के श्राद्ध तो हर कोई कर रहा है लेकिन गैरों को अपना मान कर एक शख्स देवभूमि हिमाचल में 2790 पुण्य आत्माओं सामूहिक श्राद्ध कर मिसाल कायम करने का जा रहे हैं। मूलतः बंगाल के कोलकाता के रहने वाले शांतनु अब हरिद्वार में  2790 अज्ञात पुण्य आत्माओं का 25 सितंबर को श्राद्ध करेंगे।  हमीरपुर बाजार में छोटी सी दुकान चलाकर शांतनु कुमार लावारिस शवों के लिए कंधा बने हुए हैं। हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु कुमार करीब 3 दशक से लावारिस लाशों को अपने कंधों पर उठाकर न केवल उनका अंतिम संस्कार करवाते हैं बल्कि अपने खर्चे पर हरिद्वार जाकर अस्थियां को रीति रिवाज के साथ गंगा में विसर्जित करते हैं। शांतनु ने बताया कि अब तक वो करीब 2790 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। अंतिम संस्कार के बाद अपने ही खर्च पर हरिद्वार जाकर हर की पौड़ी ब्रह्मा कुंड में हिंदू शास्त्र के अनुसार पिंड दान करवाते हैं। शांतनु कुमार ने समाज सेवा के लिए अविवाहित रहने का निर्णय लिया है। जब भी उन्हें पता चलता है कि कहीं पर लावारिस शव पड़ा तो वह अपने मकसद के लिए निकल पड़ते हैं और शव का अंतिम संस्कार करवाने के बाद हरिद्वार में अस्थियां विसर्जन करके वापस लौटते हैं। आपको बता दें कि बंगाल के कोलकाता के रहने वाले शांतनु कुमार ने 1990 से समाज सेवा शुरू की। वह 1980 में अपने पिता के साथ में हमीरपुर आए। उनके पिता यहां पर सरकारी नौकरी करते थे और तब से परिवार यहां पर बस  गया । उन्होंने बताया कि उनके अंदर समाज सेवा की भावना हमीरपुर में हुए एक हादसे के बाद शुरू हुई थी। दरअसल पुलिस जवान हमीरपुर में एक लावारिस शव को जला रहे थे और इसी दौरान उनकी बातचीत शांतनु कुमार से हुई। इस दौरा उन्हें पता चला कि इन शवों को जला तो दिया जाता है लेकिन इनका हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अस्थि विसर्जन अथवा संस्कार की कोई व्यवस्था नहीं है। यहीं से शांतनु कुमार के अंदर इस कार्य को करने की प्रेरणा जागृत है।
प्रदेश सरकार ने प्रेरणा स्रोत सम्मान से नवाजा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मिले सम्मान
शांतनु को समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए कई सामाजिक संगठनों ने शांतनु कुमार को सम्मानित भी किया है।  प्रदेश सरकार की तरफ से भी विभिन्न मंचों पर उनको सम्मान दिया गया है। हिमाचल सरकार ने उन्हें प्रेरणा स्त्रोत सम्मान से नवाजा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेवरी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। शांतनु ने इनाम में मिली हजारों रुपये की राशि को भी अपने पास नहीं रखा और उसे भी चैरिटी में दान कर दिया। शांतनु कुमार का कहना है कि समाज सेवा करके अलग सी अनुभूति होती है और इस काम के लिए मदर टेरेसा को प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं।
सरकार और प्रशासन की तरफ से मदद नहीं मिलने का मलाल
सरकार और प्रशासन की तरफ से मदद न मिलने का समाजसेवी शांतनु कुमार को मलाल है। उनका कहना है कि वह हरिद्वार अस्थि विसर्जन के लिए जाते थे तो इसके लिए उन्होंने एचआरटीसी के फ्री बस पास के महीने में एक बार की मांग की थी, लेकिन अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है जिसका उन्हें मलाल है।
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