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आख़िर क्या है प्रदोष व्रत का महत्व : पंडित सुरेश गौतम।

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- पंडित सुरेश गौतम का कहना है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 04 जनवरी, बुधवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए
 ऐसे करें व्रत व पूजा
 प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
 इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।
भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
 भगवान शिवजी  की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन  ब्रह्मचर्य का पालन करें।
चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग
05 जनवरी 2023 गुरुवार को रात्रि 09:26 से 06 जनवरी, शुक्रवार को 02:14 AM तक चतुर्दशी को आर्द्रा नक्षत्र योग है |
यदि चतुर्दशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग हो तो उस समय किया गया प्रणव () का जप अक्षय फलदायी होता है।
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