हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल में एक माह बाद भी सीमेंट ढुलाई दरों पर उपजा विवाद नहीं सुलझ पाया है। बरमाणा और दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट बंद होने से ट्रक मालिकों को आर्थिक मार पड़ रही है। सरकारी खजाने को भी एसीसी और अंबुजा प्लाटों से एक माह में खनिज पर सिर्फ रायल्टी न मिलने से 6.09 करोड़ की मार पड़ चुकी है। ट्रक यूनियनों के नेता अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के साथ बैठक करके मसला उठाएंगे ताकि विवाद को सुलझाया जा सके। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अंबुजा सीमेंट प्लांट को चलाने के लिए हर साल सरकार के खजाने में खनिज पर रायल्टी के नाम पर करीब 50 करोड़ की राशि जमा होती है। एसीसी प्लांट के लिए खनिज निकालने पर सालाना सरकार के पास 22 करोड़ रुपये की रायल्टी एकत्रित होती है। पिछले एक माह से सीमेंट ढुलाई के रेट को लेकर ट्रक मालिकों और सीमेंट प्लांट प्रबंधन के बीच विवाद नहीं सुलझ रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर प्रधान सचिव परिवहन आरडी नजीम की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी ताकि सीमेंट ढुलाई रेट का विवाद सुलझ सके। इसके बाद खाद्य आपूर्ति विभाग के निदेशक केसी चमन की अध्यक्षता में उप समिति बनाई गई और रेट को लेकर बैठकों के दौर के बाद हिमकान के परामर्शी की रिपोर्ट भी तैयार की गई। बावजूद इसके रेट को लेकर दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाई है। प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान कहते हैं कि अंबुजा और एसीसी सीमेंट प्लांट से खनिज दोहन पर सरकार को साल में करीब 72 करोड़ की रायल्टी जमा होती है। एक माह में 6.09 करोड़ की रायल्टी का नुकसान हुआ है। उप समिति इस विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रही है। अभी तक दोनों पक्षों में समझौता नहीं हुआ है।