शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- आईजीएमसी के सफाई, वार्ड अटेंडेंट, सुरक्षा कर्मी, स्टाफ नर्सों, डेटा एंट्री ऑपरेटरों, मैस कुकों व हेल्परों, लैब टेकनिशियनों व अन्य कोविड कर्मियों तथा 10 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर रखने के मुद्दे पर मजदूर संगठन सीटू के सैकड़ों कार्यकर्ता आईजीएमसी चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय के अंदर धरने पर बैठ गए तथा गांधीगिरी व सत्याग्रह किया।
इसके बाद मजदूरों ने तीन घण्टे तक आईजीएमसी कमेटी कक्ष के अंदर अधिकारियों का घेराव किया। इस दौरान यूनियन, ठेकेदारों व आईजीएमसी प्रशासन के मध्य बैठक चलती रही। तीन घण्टे की बैठक के बाद नौकरी से बाहर किये गए कोविड कर्मियों व सुरक्षा कर्मियों को नौकरी पर वापिस लेने पर सहमति बनी। सीटू ने आरपार की
लड़ाई का एलान किया है। सीटू ने चेतावनी दी है कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों व कोविड कर्मियों को न्याय न मिला तो आंदोलन उग्र होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व रमाकांत मिश्रा ने आईजीएमसी प्रबन्धन से मजदूरों को न्याय देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी से दर्जनों कोविड योद्धाओं को रोज़गार से बाहर करना मानवता को शर्मसार करने की घटना है। उन्होंने कहा कि 10 सुरक्षा कर्मियों के नौकरी से बाहर करना देश के कानून का गला घोंटना है।
उन्होंने आईजीएमसी में कर्मियों को नौकरी से बाहर करने के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया है। हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र लाल, सुरक्षा कर्मी यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू, सफाई कर्मी यूनियन अध्यक्षा निशा व महासचिव सरीना ने कहा कि आईजीएमसी में अंग्रेजों के ज़माने के काले कानून आज भी जारी हैं।
यहां हायर एन्ड फायर नीति जारी है व कानून का गला घोंट कर दर्जनों कोविड कर्मियों व 10 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्मियों को नौकरी से बाहर करने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरन्त वापिस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों व कोविड कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है।
ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है। आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम क़ानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है।